For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोमल स्पंदन मन चिर उन्मन, (गीत) :अलका ललित

16 मात्रा आधारित गीत (चोपाई छन्द आधारित )

*****

कोमल स्पंदन मन चिर उन्मन
रे स्याह भौंर गुंजन गुंजन

.

किसलय पुंजित ह्रदय हुलसित
उत्कंठा इंद्रजाल पुलकित
नित भोर भये चिर कोकिल-रव
मधु कुंज कुंज गुंजित कलरव

.

रे गंध युक्त मसिमय अंजन
रे स्याह भौंर गुंजन गुंजन

.

घनघोर घटा चितचोर विहग
नभ अंतःपुर द्युतिमान सुभग
अकलुष प्रदीप्त कोमल उज्ज्वल
तप नेह वेदना में प्रतिपल

.

रे स्वर्ण स्वर्ण हो व्याकुल मन
रे स्याह भौंर गुंजन गुंजन

.

उन्मत्त भोर भीगी मुकुलित
उद्विग्न है संध्या तट कुसुमित
आसक्त मौन उत्कंठातुर
चल रे चल आतुर मन निष्ठुर

.

रे रीत मुक्त प्रीती बंधन
रे स्याह भौंर गुंजन गुंजन

.

कोमल स्पंदन औ चिर उन्मन
रे स्याह भौंर गुंजन गुंजन

*********

"मौलिक व अप्रकाशित"

चिर--जो बहुत दिनों तक बना रहे ,, उन्मन --(हठयोग) ,,,,,भौंर - भ्रमर , भंवरा
उत्कंठा-- उत्सुकता , ,,विहग --चाँद ,
पुलकित -रोमांच ,..,पुंजित --संचित
सुभग --सुंदर; मनोहर
मुकुलित--अधखिली ,,,, कुसुमित-- उल्ल्सित
उद्विग्न--व्याकुल ,,,,, विहान--भोर , नहान
मसिमय--स्याह

Views: 1264

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on August 31, 2017 at 4:52pm

जी, आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,मार्गदर्शन के लिए बहुत आभार। बहुत कोशिश करी पर सुधार नहीं कर पाई। कोई और शब्द बाकि पंक्तियों को बिगाड़ रहे है। सादर

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on August 28, 2017 at 11:25pm

आदरणीया sunanda jha जी आपका धन्यवाद कि आपको मेरी रचना पसंद आई , आभार सादर ।

Comment by sunanda jha on August 13, 2017 at 2:23pm
वाहहहहह आदरणीया अलका जी सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 12, 2017 at 10:44am

आ०  अलका ललित जी , विहग का अर्थ गगनचर होता है  इस लिहाज से  संभव है  किसी ,  कोष में इसका एक अर्थ चंद्रमा भी हो  परन्तु यह अर्थ प्रचलन में नहीं है , अप्रचलित अर्थ  प्रयोग से बचना चाहिए . सादर .

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on August 10, 2017 at 6:21pm

जी आदरणीय Samar Kabeer ji , मार्गदर्शन  के लिए आभार ,सादर ।

Comment by Samar kabeer on August 10, 2017 at 5:56pm
गूगल ने कई लोगों को ग़लत जानकारी देकर भटका दिया है,बहतर यही है कि कोई अच्छा शब्दकोष ख़रीद लें ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on August 10, 2017 at 3:45pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी आपका धन्यवाद कि आपको मेरी रचना पसंद आई , सुधार की कोशिश जरूर करूंगी , आभार सादर । 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on August 10, 2017 at 3:34pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी ,बहुत बहुत आभार आपका ,मेरे अल्प ज्ञान व् बहुत सी त्रुटियों के बावजूद आपने मेरी रचना को सराहा।
सभी शब्दों के अर्थ गूगल से देखे है... विहग पक्षी और चन्द्रमा दोनों दिखाया गया है। अभी बहुत सीखना है मुझे, पढ़ती हूँ पर लिखते समय भूल जाती हूँ, सुधार की कोशिश करूंगी , आभार सादर ।

Comment by नाथ सोनांचली on August 10, 2017 at 3:29pm
आद0 अलका जी सादर अभिवादन, अच्छा गीत लिखा है आपने। सरल सरस्, हाँ गोपाल नारायण जी के बातों से सहमत हूँ।आप इसे देखलें।सादर। बधाई इस रचना पर
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on August 10, 2017 at 3:22pm

आदरणीय Samar Kabeer जी आपका धन्यवाद कि आपको मेरी रचना पसंद आई , आभार सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service