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आया सावन 

बोले मयूरा सुनो 

उसकी बोली |

२ 

गरज गए

बादल सावन के 

नाचो औ  गाओ |

३ 

गीत कोई तो 

सुना दो सावन के 

मनवा डोले  |

४ 

मधुर गीत 

गाती जब  सखियाँ

पिया पुकारें |

५ 

हरित धरा 

कहती कुछ कुछ 

सुनो तो सही |

चमके जब 

बिजली डर लागे 

ढूँढे पिया को |

कागज़ नाव 

 इत उत तैरती 

बच्चे बनेंगे | 

८ 

यह सावन 

अलग तो नहीं है 

लगता नया |

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 19, 2017 at 11:58am

आदाब आदरणीय समर भाई जी | आपको यह प्रयास पसंद आया सार्थक हुआ यह प्रयास सादर धन्यवाद्|

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 19, 2017 at 11:56am

सादर धन्यवाद् आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब | 

Comment by Samar kabeer on July 19, 2017 at 11:49am
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,उम्दा हाइकू लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on July 19, 2017 at 10:51am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,सावन महीने का अहसास कराते बेहतरीन हाइकु रचे हैं । हर हाइकु मज़ेदार । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं जैसे:-बीजिली-बिजली,नांव-नाव,ढूंढे-ढूँढे,। पाँचवें हाइकु में एक अक्षर ज़ियादा हो गया है ।

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