For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222 1222 122
उसे सर पर बिठाया जा रहा है ।
किसी पे जुर्म ढाया जा रहा है ।।

उन्हें मालूम है अपनी तरक्की ।
जहर को आजमाया जा रहा है ।।

चलेगा किस तरह गर्दन पे ख़ंजर ।
तरीका सब सिखाया जा रहा है ।।

जो नफरत में चलाता रोज पत्थर ।
उसे अपना बताया जा रहा है ।।

जो चारा खा चुके हैं जानवर का ।
उन्हें नेता बुलाया जा रहा है ।।

वो गायें काटते हैं वोट खातिर ।
नया मजहब चलाया जा रहा है ।।

जे एन यू में है गद्दारी का आलम ।
हमारा घर मिटाया जा रहा है ।।

न जाने क्या बिगाड़ा सैनिकों ने ।
मनोबल फिर गिराया जा रहा है ।।

करोड़ो लूट कर बोली बहन जी ।
हमें झूठा फसाया जा रहा है ।।

सियासत हो रही है जातियों पर ।
नया कानून लाया जा रहा है ।।

सड़क तो बन चुकी कागज में देखो ।
हक़ीक़त को छुपाया जा रहा है ।।

सलाखों तक कहाँ जाते हैं मुजरिम ।
महज पर्दा उठाया जा रहा है ।।

ये मौसेरे से भाई लग रहे हैं ।
बड़ा रिश्ता निभाया जा रहा है ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
कॉपी राइट

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 14, 2017 at 9:45pm
भाई नरेंद्र सिंह चौहान जी धन्यवाद ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on June 14, 2017 at 9:44pm
आ0 सुशील शरण जी सादर आभार
Comment by Sushil Sarna on June 14, 2017 at 1:53pm

वर्तमान को जीवंत करती इस हकीकत भरी ग़ज़ल के लिए दिल बधाई स्वीकारें आदरणीय। 

Comment by narendrasinh chauhan on June 14, 2017 at 1:02pm

सुन्दर रचना 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 14, 2017 at 10:46am
आ0 बसंत कुमार शर्मा जी सादर आभार ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 14, 2017 at 10:18am

वाह शानदार ग़ज़ल 

करोड़ों लूट कर बोलीं बहन जी ...क्या बात है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service