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एक ख़तरनाक आतंकवादी

ढूँढो किसी मुफ़लिस को
ग़ुमनाम तंग गलियों से
और फिर मुफ़ीद जगह पर
कर दो एनकाउण्टर
मगर आहिस्ते से
इतने आहिस्ते
कि चल सके पूरे दिन
दहशत का लाइव शो
इस बात को ध्यान में रखते हुए
कि उसे करना है घोषित
भोर की पहली किरण से ही
एक ख़तरनाक आतंकवादी
और फिर रख देना है
उसकी लाश के पास
एक झण्डा
कुछ किताबें
नक़्शे और नोट
व थोड़े से हथियार
जिससे ये डर पुख़्ता होकर
बदल जाए मज़हबी वोटों में
और बना दे अपनी सरकार।

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Mahendra Kumar on March 9, 2017 at 10:30am
आदरणीया प्रतिभा मैम, मैं आपकी भावनाओं की दिल से क़द्र करता हूँ। रचना पर उपस्थित होकर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आपका हार्दिक आभार। सादर।
Comment by Mahendra Kumar on March 9, 2017 at 10:27am
आदरणीय शरदिंदु मुख़र्जी सर, सादर अभिवादन। आपके द्वारा उठाये गए प्रश्नों के सन्दर्भ में सर्वप्रथम मैं यह स्पष्ट करना चाहूँगा कि इस रचना का उद्देश्य किसी भी प्रकार से किसी को आहत करना या उसके ऊपर कीचड़ उछालना कदापि नहीं है। साथ ही, न तो इसका उद्देश्य किसी को नकारात्मक रूप से प्रेरित या प्रोत्साहित करना है और न ही आतंकवादी मुठभेड़ों को सरलीकृत करना। यह रचना किसी देश विशेष में घटी घटना के विश्लेषण से भी सम्बन्धित नहीं है। वस्तुतः इस रचना का केन्द्रबिन्दु 'फाल्स फ़्लैग टेररिज्म' है। 'फाल्स फ़्लैग' एक ऐसी अवधारणा है जिसमें कोई सरकार अथवा संस्था अपने निजी उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किसी दूसरे पर आरोप लगाते हुए किसी बड़ी घटना को स्वयं ही अंजाम देती है। इसके पीछे विभिन्न प्रकार के उद्देश्य निहित हो सकते हैं। ऐसे ही एक उद्देश्य को इस कविता की विषयवस्तु बनाया गया है। इस फाल्स फ़्लैग का प्रयोग किसी देश पर युद्ध थोपने के लिए भी किया जाता है। फाल्स फ़्लैग के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए मैं एक लिंक दे रहा हूँ जिसमें विभिन्न घटनाओं का विवरण भी उपलब्ध है : http://www.washingtonsblog.com/2015/02/x-admitted-false-flag-attack...
आपका हार्दिक आभार, सादर।
Comment by pratibha pande on March 9, 2017 at 10:23am
मै आदरणीय शरदिन्दु जी से पूरी तरह सहमत हूँ देश की सुरक्षा से जुड़े मद्दो पर बयानबाजी/ कलमबाजी ठीक नही।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on March 9, 2017 at 2:39am
किसी राजनैतिक चिंतन के पक्ष अथवा विपक्ष में कहने का अधिकार हमारे देश में सभी को प्राप्त है, लेकिन हमारी सुरक्षा के लिए जो निरंतर अपनी जान पर खेल रहे हैं उन पर कीचड़ उछालने का अधिकार आपको किसने दिया भाई महेंद्र कुमार जी ? आप यदि रचनाकार हैं तो सावधान हो जाएँ. आपके राजनैतिक विश्वास से ऊपर उठकर देशहित में रचना करें. कोई आक्षेप लगाने से पहले पूरे परिप्रेक्ष्य का समुचित अध्ययन करें और सबूत के साथ आरोप लगाएँ. ऐसी रचना का,व्यर्थ में ही, क्या नकारात्मक परिणाम हो सकता है उस पर स्वयं विचार कीजिएगा.

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