For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल( आज तुम यह क्या किये बैठे हुए हो)

 2122  2122  2122 

आज तुम यह क्या किये बैठे हुए हो
बेवजह का गम लिये बैठे हुए हो।1

कौन सुनता है यहाँ कुछ बात ढब की
दिल नसीहत को दिये बैठे हुए हो।2

और होता मौन का मतलब यहाँ पर
क्या पता क्यूँ मुँह सिये बैठे हुए हो।3

बदगुमानों की यहाँ बल्ले हुई बस
आशिकी का भ्रम जिये बैठे हुए हो।4

एक से बढ़ एक नगमे बुन रहे सब
तुम  पुरानी धुन लिये बैठे हुए हो।5

काफिले बढ़ते गये सब साथियों के
तुम यहाँ किसके लिये बैठे हुए हो।6

माँगना पड़ता यहाँ कुछ बोलकर
क्यूँ 'मनन' सब तोलकर बैठे हुए हो।7
मौलिक व अप्रकाशित @मनन


Views: 829

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on February 4, 2017 at 8:56am
आभार आदरणीय आरिफ़ भाई
Comment by Mohammed Arif on February 2, 2017 at 10:07pm
आदरणीय मनन कुमार जी, एक अच्छी ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद क़ुबूल करें ।
Comment by Manan Kumar singh on February 2, 2017 at 1:53pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई, आपका बहुत बहुत आभारी हूँ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2017 at 11:35am

आद. मनन भाई ,इस सुदर  गज़ल के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Manan Kumar singh on February 2, 2017 at 9:24am
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भाई।
Comment by Manan Kumar singh on February 2, 2017 at 9:24am
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 2, 2017 at 9:17am

आदरणीय मनन भाई , खूब सूरत गज़ल के लिये हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Manan Kumar singh on February 1, 2017 at 9:48pm
आभारी हूँ आदरयोग्य बृज भाई
Comment by Manan Kumar singh on February 1, 2017 at 9:47pm
आदरणीय समर साहिब,मेरी समझ में 'बैठे हुए' और 'हुए बैठे' में फर्क हो जायेगा शायद,सादर।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 1, 2017 at 9:03pm
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service