For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीतिका/हिंदी गजल

दीप-पर्व पर(भुजंगप्रयात छंद)
122 122 122 122
*****************************
चलो रोशनी को जगाने चलें हम
अँधेरे यहाँ से हटाने चलें हम।1

रहे माँगते इक किरण का सहारा
लिये दीप कर में जलाने चलें हम।2

बँटे खेत कितनी तरह से अभी हैं
दिलों की लकीरें मिटाने चलें हम।3

बहुत बार देखी नजाकत जहाँ की
जरा नाज अपना दिखाने चलें हम।4

कहानी हुआ भेद बढ़ना यहाँ का
चलो आज पर्दा उठाने चलें हम।5

इशारों पे' अबतक उझकते फिरे हैं
इशारों से' आओ नचाने चलें हम।6

लड़े हैं बहुत अब तलक बेवजह के
बढ़ो आज नजरें लड़ाने चलें हम।7
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 733

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on November 4, 2016 at 3:45pm
आदरणीय समर जी,यह सच है।समीक्षात्मक टिप्पणियाँ सीखने-समझने के खयाल से बेहतर होती हैं।
Comment by Manan Kumar singh on November 1, 2016 at 8:40am
आभार आपका आदरणीय लक्ष्मण जी।
Comment by Manan Kumar singh on November 1, 2016 at 8:39am
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भाई।
Comment by Manan Kumar singh on October 29, 2016 at 5:27pm
आपका आभारी हूँ,आदरणीय रामबली जी।
Comment by Samar kabeer on October 25, 2016 at 5:35pm
कुछ समय से देखने में आ रहा है कि कुछ सदस्य अपनी प्रतिक्रया बहुत क्म शब्दों में देते हैं,जो सही नहीं है,और ये ओबीओ की परम्परा के विरुद्ध भी है,उन सभी से मेरा विनम्र निवेदन है कि शाइर हो या कवि या लघुकथा कार, वो बड़ी मिहनत से आपके समक्ष अपनी रचना रखता है,और हमारे पास जैसे शब्दों का अकाल पड़ा हुआ है,"ख़ूब ग़ज़ल कही" "अच्छी रचना हुई""आभार आदरणीय"ऐसी प्रतिक्रयाओं से क्या लाभ ?वो तो ग़नीमत है कि इस मंच पर लाइक वाला आब्शन नहीं है,वरना उस पर उंगली रखकर ही चलते बनें । मेरा अनुरोध है कि ओबीओ की गरिमा को ठेस न पहुंचाएं बल्कि उसे बढ़ाने में अपना योगदान दें । कृपया मेरी बात को अन्यथा न लें ।
Comment by savitamishra on October 25, 2016 at 5:04pm

बहुत खूबसूरतग़जल|

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 25, 2016 at 3:47pm

सुंदर गजल हुई है | चौथे युग्म की दूसरी पंक्ति में जरा रूत का अर्थ का आशय समझ नहीं आया  | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2016 at 10:03am

आदरणीय मनन भाई , खूब सूरत ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ।

इस मिसरे को देखियेगा -

जरा रूत अपनी दिखाने चलें हम    ---    रुत मेरे खयाल से 2 हो गा आपने 21 लिया है , कंफर्म कर लीजियेगा

बेवजह के   --  बेवज़ह के बाद के सही नही लग रहा है ,   ही करके देखिये भला ।

Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2016 at 1:48am
वाह वाह इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद लीजिये आद0 मनन भाई जी
Comment by Manan Kumar singh on October 23, 2016 at 9:31pm
आभार आपका

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service