For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रग्घू के यहाँ तेरहवीं का भोज खाने के बाद गांव के कुछ बुजुर्ग वहीँ दरवाजे पर बने कउड़ा पर हाथ सेंकने बैठ गए| जाड़े का दिन था और ठंढ भी कुछ ज्यादा थी| कुछ लोग खाने के बारे में बात करने लगे, किसी को अच्छा लगा था तो किसी को साधारण| जोखू चच्चा को हमेशा से ये ब्रम्ह भोज खराब लगता था और उन्होंने कई बार इसके विरोध में बोला भी था लेकिन किसी ने उसपर ध्यान नहीँ दिया| रग्घू की माली हालात अच्छी नहीँ थी, उसपर पिता की बिमारी ने उसे और कंगाल कर दिया था| अब ये भोज का खर्च, आज जोखू चच्चा ने सोच लिया कि बात उठायी जाए|
"आप लोग क्या कहते हैं, रग्घू के ऊपर इस भोज का बोझ गलत नहीँ हो गया", उन्होंने बात को शुरू करते हुए कहा|
"हाँ, भार तो कुछ ज्यादा हो गया बेचारे पर", कुछ लोगों की आवाज़ थी|
"लेकिन फिर भी उसने इंतज़ाम ठीक ही किया था, उसके पिता की आत्मा को शांति मिली होगी", किसी और की आवाज़ थी|
"लेकिन क्या ये जरुरी है कि ब्रम्ह भोज हो, क्या इसे बंद नहीँ किया जा सकता", जोखू चच्चा ने जोर देकर कहा|
वहां सन्नाटा छा गया, लोग ये मानने के लिए तैयार ही नहीँ थे कि इसे बंद किया जाना चाहिए|
"लेकिन ये तो सदियों से होता आया है, और पुरखों की आत्मा की शांति के लिए जरुरी भी है", किसी ने कहा तो उसके समर्थन में कई आवाज़ें उठ गयीं|
"मेरे विचार से ये बंद ही होना चाहिए, कितना अनावश्यक बोझ पड़ जाता है लोगों पर", जोखू चच्चा ने हार नहीँ मानी| एकबार फिर सन्नाटा छा गया|
तभी नंदू ने थोड़े तेज स्वर में कहा "देखिये ये हमारे रीत रिवाज हैं, जिनको ख़त्म नहीँ किया जा सकता| वैसे जोखू चच्चा की माँ का आखिरी समय आ गया है, इसीलिए ये इतना छटपटा रहे हैं", और उठ कर चल दिया|
कई और लोग भी जोखू चच्चा को सकते की हालात में छोड़कर चल दिए| कउड़ा भी कुछ मद्धम पड़ गया था और रग्घू के दरवाजे पर कुत्ते फेंके हुए पत्तल के बचे हुए खाने के लिए आपस में लड़ रहे थे|
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on October 17, 2016 at 12:35pm

बहुत बहुत आभार आ नीता कसार जी. जो भी इन परम्पराओं के विरोध में आगे आता है, उसके ऊपर ही व्यक्तिगत आक्षेप शुरू हो जाता है 

Comment by विनय कुमार on October 17, 2016 at 12:33pm

बहुत बहुत आभार आ सुरेश कुमार कल्याण जी   

Comment by Nita Kasar on October 16, 2016 at 8:54pm
जहाँ गुज़र बसर मुश्किल हो तब वहाँ ये परंपरायें गले की हड्डी बन जाती है ।तब भला अपने जो चले गये उनकी आत्मा को शांति कैसे मिल सकती है ।कथा के जरिये जवंलंत समस्या पर प्रकाश डाला है आपने।बधाई आपको आद० विनय सिंह जी ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 15, 2016 at 8:27pm
आदरणीय विनय कुमार जी बहुत ही सुन्दर रचना है । बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by विनय कुमार on October 13, 2016 at 6:14pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय समर कबीर साहब 

Comment by Samar kabeer on October 13, 2016 at 2:54pm
जनाब विनय कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी लगी ये लघुकथा,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service