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ग़ज़ल ( अहदे वफ़ा चाहिए )

ग़ज़ल ( अहदे वफ़ा चाहिए )
--------
फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल

न कुछ तुम से इसके सिवा चाहिए ।
हमें सिर्फ़ अहदे वफ़ा चाहिए ।

जो दौलत है ले जाओ तुम भाइयों
मुझे सिर्फ़ माँ की दुआ चाहिए ।

करे ऐब गोई जो हर शख़्स की
उसे दोस्तों आइना चाहिए ।

जो क़ायम करे एकता मुल्क में
हमें सिर्फ़ वह रहनुमा चाहिए ।

कहीं दिल लगाना भी है लाज़मी
अगर दर्दे ग़म का मज़ा चाहिए ।

ज़रूरी है ख़िदमत भी मख़लूक़ की
अगर तुझको साजिद ख़ुदा चाहिए ।

वो तस्दीक़ मुल्के अदम को गया
तुम्हें जिस बशर का पता चाहिए ।

(मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment by जयनित कुमार मेहता on September 30, 2016 at 3:41pm
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी, खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने। हार्दिक बधाइयाँ।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 29, 2016 at 11:16pm

आ तस्दीक अहमद खान साहिब आदाब ,मख़लूक़  का अर्थ क्या मखदूम है ?--जिसका खिदमत की जाय ?  उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 29, 2016 at 7:49pm

जनाब प्रमोद श्रीवास्तव साहिब ,  फऊलन का वज़्न 122  होगा -----शुक्रिया 

Comment by PRAMOD SRIVASTAVA on September 29, 2016 at 12:13am

टिप्पणी केवल सीखने के लिए 

फऊलन वजन मे 1211 या 122 होगा ।122 तो फईलुन होता है ।

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