For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(कर गुजरते कुछ.......)

छद्मवेशी देशभक्त दोस्तों को समर्पित)
2122 2122 2122 2
***
कर गुजरते कुछ अभी तैयार बैठे हैं
देख अपनों की दशा लाचार बैठे हैं।1

दुश्मनों की नस दबाते, शोर मच जाता,
इश्क के तो ढ़ेर सब बीमार बैठे है।2

दोस्त वह खंजर चलाता आँख बेपानी,
भर रहे हामी मुए इस पार बैठे हैं।3

जीतते आये दिलों पे राज भी करते
भेदियों की भीड़ है मन मार बैठे हैं।4

फूल कितने भी खिलाये चुभ रहे काँटे
बागवाँ पहले यहाँ सब हार बैठे हैं।5

रोशनी की कुछ मशालें हाथ में रखना
रास्तों पर आजकल बटमार बैठे हैं।6

वेशभूषा, बात का मतलब हुआ मुश्किल
भेड़ बनकर भेड़िये खूंखार बैठे हैं।7

मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 784

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on October 5, 2016 at 11:00pm
आभार आदरणीया
Comment by Manan Kumar singh on October 5, 2016 at 11:00pm
आभार आदरणीया
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 9:33pm

अच्छी ग़ज़ल कही है आदरणीय |

Comment by Manan Kumar singh on October 5, 2016 at 10:25am
सभी आदरणीय मित्रों का आभार
Comment by Manan Kumar singh on October 4, 2016 at 6:55am
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सुरेश कल्याणजी।
Comment by Manan Kumar singh on October 4, 2016 at 6:54am
आभार आदरणीय अशोक जी।
Comment by Manan Kumar singh on October 4, 2016 at 6:54am
आभार आदरणीय अशोक जी।
Comment by Manan Kumar singh on October 4, 2016 at 6:53am
आभार आदरणीय अशोक जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2016 at 8:30am

आदरणीय मनन भाई , देश की वर्तमान स्थिति पर अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 1, 2016 at 3:05pm
आदरणीय मनन कुमार जी इस बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
18 hours ago
ajay sharma shared a profile on Facebook
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service