For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर : २१२ २१२ २१२ २१२

पेट को चाहिए  खाद्य, नारा नहीं

पेट जितने से भर जाय, सारा नही |

भावना की कमी,  जाँचना चाहिए

भूखे  को चाहिए खाना,चारा नहीं | 

सारे रिश्ते बिगड़ते हैं, तकरार से  

शत्रुवत  और हो जाता  यारा नहीं |

बात है कर्ण प्रिय ,’आयगा अच्छा दिन”

अब किसी को भी यह, लगता प्यारा नहीं |

देख कर ठण्ड वातावरण क्या कहें

पी गए मय मधुर किन्तु प्यारा नहीं |

सिन्धु जल मेघ बन फिर बरसता कहीं

वह अमृत  वारि मीठा है खारा नहीं |   

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 514

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 9:57pm

बहुत खुबसूरत  ग़ज़ल हुई है आदरणीय | हार्दिक बधाई |

Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 26, 2016 at 10:23pm

आदरणीय शिज्जू शकूर और आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी आप दोनों बहुत बहुत धन्यवाद | शब्द के लिंग की तरफ ध्यान नहीं गया था |उस पंक्ति को ऐसा कर देता हूँ 

"शत्रुवत और हो जाता, यारा नहीं "


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2016 at 5:58pm

आदरणीय कालिपद सर यहाँ यारा शब्द के प्रयोग की बात कर रहा हूँ आपके बयान  के अनुसार यहाँ यारी शब्द होना चाहिए जबकि आपने यारा लिखा है

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 26, 2016 at 4:38pm
बहुत ही साफ़ तौर पर पते की बातें कही हैं आपने आदरणीय कालीपद प्रसाद मंडल जी। हां, तीसरे शे'र में गड़बड़ी हुई है जैसा कि मोहतरम जनाब शिज्जु शकूर साहब ने फ़रमाया है। वैसे भी 'दुश्मनी' के साथ 'यारी' सही होता या 'दुश्मन' के साथ 'यारा' !!!
Comment by Kalipad Prasad Mandal on September 26, 2016 at 4:31pm

आदरणीय शिज्जू शकूर जी ,शुक्रिया हौसला अफजाई  के लिए |  तकरार शब्द है जो उला और सानी मिसरा को  जोड़ता है | तकरार होती है तो रिश्ते बिगड जाते है ,सानी में -तकरार से दुश्मनी हो जाती है ,दोस्ती नहीं | आशा है अब स्पष्ट हुआ होगा | सादर  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2016 at 4:08pm

आ. कालिपद मंडल जी बहर खूब निभाया आपने बधाई, तीसरे शे र में देखिये सानी मिसरे में बात साफ नहीं है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service