For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब में मिट्टी है भारत की (नवगीत)

किसको पूजूँ

किसको छोड़ूँ

सब में मिट्टी है भारत की

 

पीली सरसों या घास हरी

झरबेर, धतूरा, नागफनी

गेहूँ, मक्का, शलजम, लीची

है फूलों में, काँटों में भी

 

सब ईंटें एक इमारत की

 

भाले, बंदूकें, तलवारें

गर इसमें उगतीं ललकारें

हल बैल उगलती यही जमीं

गाँधी, गौतम भी हुए यहीं

 

बाकी सब बात शरारत की

 

इस मिट्टी के ऐसे पुतले

जो इस मिट्टी के नहीं हुए

उनसे मिट्टी वापस ले लो

पर ऐसे सब पर मत डालो

 

अपनी ये नज़र हिकारत की

------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित))

Views: 733

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 5, 2016 at 10:07pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय सौरभ जी, मार्गदर्शन के लिए विशेष आभारी हूँ।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 5, 2016 at 10:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेश जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 5, 2016 at 10:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया प्रतिभा जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 5, 2016 at 10:05pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय श्याम नारायण ही

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 5, 2016 at 10:05pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जयनित जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 5, 2016 at 10:04pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर  साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 5, 2016 at 10:04pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय कल्पना जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2016 at 5:58pm

गीति-काव्य पर आपकी इस प्रस्तुति से हमारे जैसे पाठक के मन में उछाह और उत्साह का संचार हुआ है आदरणीय धर्मेन्द्र जी. हार्दिक शुभकामनाएँ और अशेष बधाइयाँ .. 

वैसे, नवगीत, या गीत ही, के संदर्भ में भावबोध और भाव-आवृति का संदर्भ लेना आवश्यक होगा. तात्पर्य यह है कि, भावबोध के संप्रेषण के क्रम में भाव-आवृति में निरंतरता को बनाये रखना गीति-प्रतीति की प्रस्तुतियों के हिसाब से रचनात्मक कर्म है. इस पर आदरणीय अवश्य ध्यान रखें. 

सादर

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 2, 2016 at 11:34am
आदरणीय श्री धर्मेन्द्र कुमार जी इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
Comment by pratibha pande on August 1, 2016 at 10:12pm

भाले, बंदूकें, तलवारें

गर इसमें उगतीं ललकारें

हल बैल उगलती यही जमीं

गाँधी, गौतम भी हुए यहीं

 

बाकी सब बात शरारत की.....वाह   बहुत खूब ..हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय  धर्मेन्द्र कुमार जी 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service