For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (ज़िंदगी के लिए )

ग़ज़ल (ज़िंदगी के लिए )

------------------------------

२१२ ---२१२ --२१२ --२१२

मेरे महबूब तेरी ख़ुशी के लिए ।

ले लिए हम ने गम ज़िंदगी के लिए ।

गौर से अपने कूचे पे डालें नज़र

मुंतज़िर है कोई आप ही के लिए ।

मुस्कराता रहे ज़ुल्म सह के सदा

कब है मुमकिन हर इक आदमी के लिए ।

इक क़लम और कागज़ ही काफी नहीं

लाज़मी है सनम शायरी  के लिए ।

ऐसे आशिक़ हुए हैं रहे इश्क़ में

जान दे दी जिन्होंने किसी के लिए ।

जो किसी से भी करता नहीं है वफ़ा

 हम ने उसको चुना दोस्ती के लिए ।

जो न कर पाए तस्दीक वादा वफ़ा

उसको चुनते हैं क्यों रहबरी के लिए

(मौलिक व अप्रकाशित )    

Views: 679

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 18, 2016 at 10:41pm

जनाब सुनील साहिब , ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया 

Comment by shree suneel on July 18, 2016 at 3:21am
जो किसी से भी करता नहीं है वफ़ा
हम ने उसको चुना दोस्ती के लिए... व्वाहह!
अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय तस्दीक अहमद साहब. हार्दिक बधाई आपको. सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 16, 2016 at 10:53pm

जनाब जयनित कुमार साहिब , ग़ज़ल  में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by जयनित कुमार मेहता on July 16, 2016 at 5:48pm
मुस्कराता रहे ज़ुल्म सह के सदा
कब है मुमकिन हर इक आदमी के लिए ।

इक क़लम और कागज़ ही काफी नहीं
लाज़मी है सनम शायरी के लिए ।

बहुत खूब..आदरणीय।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 15, 2016 at 4:26pm

मोहतरम   जनाब मनन कुमार  साहिब ,   ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का शुक्रिया       

Comment by Manan Kumar singh on July 15, 2016 at 10:05am
वाह बहुत खूब तसदीक भाई,दाद कुबूल फरमायें।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 15, 2016 at 8:51am

जनाब महेंद्र कुमार  साहिब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 15, 2016 at 8:49am

मोहतरमा राहिला साहिबा आदाब , ग़ज़ल में गहराई से शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया

Comment by Mahendra Kumar on July 15, 2016 at 6:32am
आदरणीय तस्दीक़ जी, बहुत ही ग़ज़ल लगी आपकी। ढेर सारी बधाई, सादर!
Comment by Rahila on July 14, 2016 at 11:31pm
"जो किसी से भी करता नहीं है वफ़ा
हम ने उसको चुना दोस्ती के लिए ।"
वाह,क्या खूब लिखा आपने आदरणीय खान साहब ।पूरी गजल5ही शानदार बन पड़ी।तहे दिल से बधाई ।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। 'मिलना' को लेकर मेरे मन में भी प्रश्न था, आपके…"
44 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"2122 2122 2122 212 दोस्तों के वास्ते घर से निकलना चाहिए सिलसिला यूँ ही मुलाक़ातों का चलना चाहिए…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत बहुत आभार आपका ,ये प्रश्न मेरे मन में भी थे  सादर "
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"इस बार के तरही मिसरे को लेकर एम प्रश्न यह आया कि ग़ज़ल के मत्ले को देखें तो क़ाफ़िया…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति औल स्ने के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। 6 शेर के लिए आपका सुझाव अच्छा…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. प्राची बहन, सादर अभिवादन।गजल आपको अच्छी लगी, लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"2122 2122 2122 212 **** रात से मिलने को  दिन  तो यार ढलना चाहिए खुशनुमा हो चाँद को फिर से…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी प्रस्तुति पर पुन: आता हूँ।  करूँगा मैं चर्चा सबुर आप…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी इस प्रस्तुति पर पुन: आऊँगा।  शुभातिशुभ"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service