For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सात जन्म दे जाए ...

सात जन्म दे जाए ...

मेघों का जल
कौन पी गया
कौन नीर बहाये
क्यूँ ऋतु बसंत में आखिर
पुष्प बगिया के मुरझाये
प्रेम भवन की नयन देहरी पर
क्यूँ अश्रु ठहर न पाए
विरह काल का निर्मम क्षण क्यूँ
धड़कन से बतियाये
वायु वेग से वातायन के
पट रह रह शोर मचाये
छलिया छवि उस बैरी की
घन के घूंघट से मुस्काये
वो छुअन एकान्त पलों की
देह भूल न पाये
तृषातुर अधरों से विरह की
तपिश सही न जाए
नयन घटों की व्याकुल तृप्ति
दूर खड़ी सकुचाये
गौर कपोल पे कुंतल-लट की
क्रीडा उधम मचाये
पी वियोग में अंजन रेखा
अंसुअन संग बही जाए
बाट जोहती अांखों की
बैरी व्यथा समझ न पाए
करूं समर्पण अपना सब कुछ
जो वो लौट के अाये
चुटकी भर सिंदूर से मुझको
सात जन्म दे जाए


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 3, 2016 at 1:17pm

अादरणीय शिज्जू शकूर साहिब प्रस्तुति पर अपकी ऊर्जावान प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on July 3, 2016 at 1:16pm

अादरणीया कांता रॉय जी सृजन के भावों को अात्मीय मान देने का हार्दिक अाभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 3, 2016 at 7:08am
आ. सुशील सरना सर वियोग श्र्ंगार रस से परिपूर्ण अच्छी रचना बन पड़ी है। बधाई आपको
Comment by kanta roy on July 2, 2016 at 11:22pm

प्रेम भवन की नयन देहरी पर 
क्यूँ अश्रु ठहर न पाए 
विरह काल का निर्मम क्षण क्यूँ 
धड़कन से बतियाये ----- अद्भुत भाव ! 

पी वियोग में अंजन रेखा 
अंसुअन संग बही जाए 
बाट जोहती अांखों की 
बैरी व्यथा समझ न पाए---वाह ! वाह ! अप्रितम अभिव्यक्ति देखने  को  मिली  आपकी  फिर  से  आदरणीय  सुशिल  सरना  जी . बधाई  आपको .

Comment by Sushil Sarna on July 2, 2016 at 7:49pm

अादरणीय रक्ताले साहिब प्रस्तुति को अापनी अात्मीय प्रशंसा से मान देने का हार्दिक अाभार। अापके द्वारा इंगित संदेह को दुरुस्त कर पुनः प्रेषित कर रहा हूँ। अापके इस सुझाव का दिल अाभार। 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 2, 2016 at 6:59pm

आदरणीय सुशील सरना साहब सादर नमन, विरह वियोग पर सुंदर रचना हुई है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. फिरभी कुछ जगह देख लें.

किसने नीर बहाये.................यहाँ कौन नीर बहाए तो ठीक है किन्तु किसने.... देख लें.

नयन घटों 'पर' व्याकुल तृप्ति
'दूर' खड़ी सकुचाये......................यहाँ  'पर' या  'दूर' में से किसी एक को ही रखना उचित होगा. सादर. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service