For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कितनी ज़्यादा ख़ुशी पे पाबंदी (ग़ज़ल)

2122 1212 22

क्या लगी मैक़शी पे पाबंदी
यूँ लगे, ज़िन्दगी पे पाबंदी

जो लगा दे तो मर ही जाऊँ मैं
गर कोई शाइरी पे पाबंदी

ग़म की सीमा रही नहीं कोई
कितनी ज़्यादा ख़ुशी पे पाबंदी

वो लगाते ज़ुबान पर ताला
और फिर ख़ामुशी पे पाबंदी

बम-पटाखों पे कोई रोक नहीं
आजकल छुरछुरी पे पाबंदी

खेल लो खेल ख़ूब क़ुदरत से
क्यूँ लगे त्रासदी पे पाबंदी

मेरे दुश्मन हैं इंतज़ार में "जय"
कब लगे दोस्ती पे पाबंदी
======================

(मौलिक व अप्रकाशित)
【मतला बिहार की शराबबंदी से प्रेरित है।】

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 24, 2016 at 10:11pm
सुखननवाज़ी के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रगुज़ार हूँ।
Comment by बशर भारतीय on May 24, 2016 at 4:54pm
बहुत बढ़िया आदरणीय जयनित जी
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 23, 2016 at 10:30pm
आदरणीय डॉ गोपाल जी व आदरणीय बृजेश जी, हृदय से धन्यवाद आपको।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 23, 2016 at 10:27pm
खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2016 at 9:42pm

बढ़िया है ,वाह !

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 18, 2016 at 9:38pm
आदरणीय जान गोरखपुरी भाई जी,बहुत दिनों बाद आपकी उपस्थिति व आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से दोहरी ख़ुशी हुई।
बहुत-बहुत धन्यवाद आपको!
:-)
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 18, 2016 at 9:36pm
आदरणीय डॉ साहब, आपकी उपस्थिति व प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 18, 2016 at 9:33pm
आदरणीय समर कबीर जी, आपकी उपस्थिति मेरे लिए बहुत ही आनंददायक होती है। आपकी प्रतिक्रिया से आश्वस्त हुआ हूँ।
बहुत-बहुत धन्यवाद आपको।
सादर!!
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 18, 2016 at 6:28pm
वो लगाते ज़ुबान पर ताला
और फिर ख़ामुशी पे पाबंदी

वाह्ह्ह् ,पाबन्दी जैसे रदीफ़ को बहुत खूब निभाया है भाई जयनित जी।मुबारकबाद कबूल करें।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 18, 2016 at 5:04pm

आदरणीय जय्नित जी बढ़िया ग़ज़ल हुई है ..हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service