For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमने किस किस से न पूछा/ ग़ज़ल

2122  2122   2122  212

हमने किस किस से न पूछा ज़िन्दगी तेरा पता ।
हमको ले आया ग़मों में ऐ ख़ुशी तेरा पता ।

ऐ मुहब्बत दूर मुझसे अब न तू जा पाएगी ,
दे रहा है अब मुझे ये दर्द भी तेरा पता ।

हाथों में  दीपक बुझा था दूर तारे थे बहुत ,
जुगनुओं से हमने पूछा रौशनी तेरा पता ।

माना ढलती उम्र में चाहत भी तेरी ढल गयी ,
ढूंढता है इक दीवाना आज भी तेरा पता ।

उनसे नज़रें क्या मिलीं दिल शायराना हो गया ,

आशिकी में मिल रहा है शाइरी तेरा पता ।

हमने माना राह दिल की बंदगी तुझसे मिली ,
पर लुटाकर जाँ मिला है बंदगी तेरा पता ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज मिश्रा

Views: 956

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on January 17, 2016 at 10:59am
बहुत अच्छी व खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने, आदरणीय नीरज मिश्रा जी.. बधाई आपको!!
Comment by Neeraj Nishchal on January 15, 2016 at 4:52pm

बहुत बहुत शुक्रिया RAAM ASHERY साहब आपका

Comment by Neeraj Nishchal on January 15, 2016 at 4:51pm

बहुत बहुत शुक्रिया PHOOL SINGH साहब आपका

Comment by Neeraj Nishchal on January 15, 2016 at 4:50pm

नमस्कार समीर साहब बहुत बहुत आपका आपकी इस्लाह के लिए
क्षमा चाहता हूँ

माना ढलती उम्र में चाहत भी तेरी ढल गयी ,
ढूंढता है इक दीवाना आज भी तेरा पता ।

इसमें एक शब्द ढल शायद लिखना भूल गया था
अभी इसे सही करके पेश कर रहा हूँ ।

एक अन्य मिसरे में भी जल्दी में "से" लिखना भूल गया

जुगनुओं से हमने पूछा रौशनी तेरा पता ।

बहरहाल बहुत बहुत आभार आपका
आगे से अरकान ज़रूर लिखूंगा ।

Comment by Ram Ashery on January 15, 2016 at 3:20pm

बहुत ही सुंदर गजल आपको दिल बधाई स्वीकार हो । 

Comment by PHOOL SINGH on January 15, 2016 at 10:07am

बहुत ही सुन्दर, आप बहुत बहुत बधाई

Comment by Samar kabeer on January 14, 2016 at 10:42pm
जनाब नीरज मिश्रा "प्रेम" जी,आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने ,बधाई स्वीकार करें ,ओबीओ के नियमानुसार ग़ज़ल पर उसके अरकान लिखना ज़रूरी है,आपने अरकान नहीं लिखे हैं,आइन्दा ख़याल रखियेगा ।
कुछ मिसरों की तरफ़ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा :-

1)"जुगनुओं हमने पूछा रौशनी तेरा पता"

:- यह मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है,इसे इस तरह लिखेंगे तो ये कमी दूर हो जाएगी :-

"जुगनुओं से हम ने पूछा रौशनी तेरी पता"

2)"माना ढलती उम्र में चाहत भी तेरी गयी"

:- यह मिसरा भी बह्र से ख़ारिज हो रहा है,इसे इस तरह लिखेंगे तो यह सही हो जाएगा :-

"माना ढलती उम्र में चाहत भी वो तेरी गई"

देख लीजियेगा,कृपया अन्यथा न लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service