For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || दोस्त कोई न मेह्रबाँ कोई ||

दोस्त कोई न मेह्रबाँ  कोई 

काश मिल जाए राज़दाँ कोई  /१

दिल की हालत कुछ आज ऐसी है 

जैसे लूट जाए कारवाँ कोई  /२ 

एक ही बार इश्क़ होता है 

रोज होता नहीं जवाँ कोई  /३  

तुम को वो सल्तनत मुबारक हो 

जिसकी धरती न आसमाँ कोई   /४ 

सारथी कह सके जिसे अपना 

सारथी के सिवा कहाँ कोई /५ 

...........................................
सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित

अरकान: २१२२ १२१२ २२ 

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Saarthi Baidyanath on December 17, 2015 at 2:00pm

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी , आशीर्वाद है आपका ! कृपया स्नेह बनाये रखियेगा ! आपका ही - सारथी :)


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 16, 2015 at 11:56pm

आदरणीय बैजनाथ जी इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Saarthi Baidyanath on December 16, 2015 at 3:35pm


"जैसे लूट जाए कारवाँ कोई" , जी जनाब समर कबीर साहिब , लिखने में गलती हुई , कृपया सही करके पढ़ा जाए , प्रार्थी  !

Comment by Saarthi Baidyanath on December 16, 2015 at 3:34pm

आदरणीय  laxman dhami जी , अनेक धन्यवाद ! सादर नमन सहित :)

Comment by Saarthi Baidyanath on December 16, 2015 at 3:33pm

भाई  jaan' gorakhpuri जी और जनाब  Samar kabeer साहिब , आपकी दुआओं और मुहब्बतों के लिए तहे-दिल से शुक्रगुजार हूँ ! मोहतरम कबीर साहिब , आपने ख़ाकसार को जो इज्जत बख्शी है , उसके लिए शीश नत प्रणाम कर रहा हूँ और हृदय-तल से आभार भी ज्ञापित कर रहा हूँ !

विनीत आभार सहित , आपका ही सारथी :)

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 16, 2015 at 11:22am

इस अच्छी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई l

Comment by Samar kabeer on December 15, 2015 at 10:52pm
मुआफ़ी चाहता हूँ,आपने ग़ज़ल के अरकान नीचे लिखे हैं इसलिये देख नहीं पाया ।
Comment by Samar kabeer on December 15, 2015 at 10:50pm
जनाब बैधनाथ सारथी जी,आदाब,ओबीओ पर पहली बार आपकी ग़ज़ल से रूबरू हुवा हूँ,अच्छा कहते हैं आप,आपकी ग़ज़ल सुनकर दिल बाग़ बाग़ हुवा,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

"जैसे लूट जाए कारवाँ कोई"

इस मिसरे में शायद टंकण त्रुटि से 'लुट' की जगह "लूट" हो गया है,देख लीजियेगा ,हाँ एक बात और कि आपने ग़ज़ल के अरकान नहीं लिखें हैं ।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on December 15, 2015 at 2:53pm
ओबीओ पर मैं आपकी पहली रचना देख रहा हूँ आ.भाई बैद्यनाथ जी..बहुत ख़ुशी हुयी आपकी यहाँ पाकर..अच्छी गजल हुयी है हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service