लकीरें खींच कर सब लोग,
मुझसे पूछते हैं जब,
असम के हो ,या जम्मू के,
या राजस्थान के हो तुम ,
मैं कहता हूँ, वहाँ का हूँ,
जहाँ की, सोना है माटी,
जहाँ सौहार्द का मेला,
जहाँ की प्रेम परिपाटी ,
वो कहते हैं कि,
अच्छा तो ! हिन्दुस्तान के हो तुम ।
वो कहते हैं, कि किससे,
है तुम्हारा खून का रिश्ता,
किसी राजा के बेटे या,
किसी धनवान के हो तुम,
मैं कहता हूँ जहाँ पैदा हुए,
हैं राम, गौतम बुद्ध ,
वो कहते हैं कि,
अच्छा तो ! हिन्दुस्तान के हो तुम ।
तुम्हारा क्या धरम है और,
क्या मजहब तुम्हारा है,
वो मुझसे पूछते हैं कौन,
तुमको दिल से प्यारा है ,
मैं कहता हूँ , मुझे प्यारा वही ,
ईमान में जो गुम ,
वो कहते हैं कि,
अच्छा तो ! हिन्दुस्तान के हो तुम ।
अजय शर्मा "अज्ञात "
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय अजय जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है हार्दिक बधाई
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