For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल इस्लाह के लिए (मनोज कुमार अहसास)

2122 2122 2122 212


कल्पना का पथ टटोलें कुछ समय की आह सुन
इस तरह निभ जाये शायद अपनी चाहत अपनी धुन

उनकी यादों की कोई सीमा कोई मंज़िल भी है
मुड़ हकीकी से मजाज़ी या जगत की पीर बुन

बेगुनाही का मज़ा इस बात से दुगना हुआ
मेरे कातिल ने कहा है खुद सजा की राह चुन

एक मिसरा उनपे भी हो जिनसे होती है ग़ज़ल
फाइलातुन, फाइलातुन ,फाइलातुन, फाइलुन

प्रेम की इस व्यंजना में इक अमिट अनुराग है
वो न मेरा नाम लेती है कहती है बस मेरे उन

फैसले सारे फिर उसके बाद ही लिखे गए
ज़िन्दगी में वेदना का इश्क़ था पहला शगुन

शाइरी में इस तरह का भी कोई कानून हो
काफियों की हो कमी तो खून को लिख डाले खुन

जाने कैसे सामना हो तेरा और"अहसास"का
तू नियंता मैं अधीना अवगुणी मै तू अगुन


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 28, 2015 at 5:59pm
अहसास साहब आपका हर शेर बोलता हुआ कठिन काफिये का निर्वहन करता हुआ है। वाह आनन्द आगया। बधाई।
Comment by मनोज अहसास on October 28, 2015 at 7:26am
शुक्रिया
आदरणिय नीर जी
सादर
Comment by Neeraj Neer on October 27, 2015 at 10:29pm

बहुत खूब भाई मनोज जी 

Comment by मनोज अहसास on October 27, 2015 at 9:34pm
बहुत शुक्रिया भाई बैजनाथ जी
सादर
Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on October 27, 2015 at 9:31pm

मनोज 'अहसास'जी 

अति सुन्दर रचना| ................. बधाई| 

शाइरी में इस तरह का भी कोई कानून हो
काफियों की हो कमी तो खून को लिख डाले खुन.........  वाह !!!!  तंग काफिए  को भी आपने क्या खूब निभाया है..... वाह ..वाह !!!

Comment by मनोज अहसास on October 27, 2015 at 9:29pm
बहुत शुक्रिया
आदरणीय भाई दिनेश जी
सादर
Comment by दिनेश कुमार on October 27, 2015 at 8:53pm
इस्लाह तो गुरुजन करेंगे भाई मनोज जी।
ग़ज़ल बहुत खूब लगी । वाह वाह। ख़ास तौर पर दो तीन मिसरे बहुत भाये।
फाइलातुन, फाइलातुन ,फाइलातुन, फाइलुन...
ज़िन्दगी में वेदना का इश्क़ था पहला शगुन....
काफियों की हो कमी तो खून को लिख डाले खुन....वाह वाह
Comment by मनोज अहसास on October 27, 2015 at 8:47pm
प्रेम की इस व्यंजना में इक अमिट अनुराग है
वो न मेरा नाम लेती (है) कहती है बस मेरे उन

इसमें मिसरे में है ज्यादा लग गया टाइप।की गलती से
निवेदन है इसे हटा कर पढ़ा जाये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service