For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम इसे तवज्जो न देना........

तुम इसे तवज्जो न देना ....


ये बादे सबा अगर
तुम्हें मेरे दर्द का पैगाम दे जाये
तो अपने ज़हन में
करवटें लेते खुशनुमा अहसासों पर
तुम तवज्जो न देना

किसी तारीक शब को
अब्र से झांकता माहताब
पीला नज़र आये
तो तन्हाई से गुफ़्तगू करती
मेरी खामोशियों पर
तुम तवज्जो न देना

सड़क पर चलते
तुम्हारे पाँव के नीचे
कोई ज़र्द पत्ता चीखे
तो गर्द में डूबे
मेरी मुहब्बत के
बदलते मौसम पर
तुम तवज्जो न देना

हाँ इक गुजारिश है तुमसे
जब मैं जहां से रुख़्सत हो जाऊं
मेरी लहद पर
मुझसे मिलने ज़रूर आना
मेरे अधूरे अनमानों को
चराग़े मुहब्बत से
रोशन कर जाना
मेरे सफर का आगाज़ तुम थे
अब इसे एक खूबसूरत
अंजाम भी दे जाना
जिस्म न सही
रूह तो हर लम्हा तुम्हारे साथ रहेगी
बस मेरी आखिरी इल्तिज़ा है तुमसे
मैं नहीं हूँ
तुम इसे तवज्जो न देना

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 15, 2015 at 3:08pm

आदरणीया  मिथिलेश वामनकर जी रचना में निहित भावों पर आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 15, 2015 at 1:16pm

आदरणीय सुशील सरना सर बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति हुई है. हार्दिक बधाई 

Comment by Sushil Sarna on October 3, 2015 at 1:18pm

आदरणीया गिरिराज भंडारी  जी रचना में निहित भावों पर आपकी आत्मग्राही प्रशंसा का दिल से शुक्रिया। आपने सही पहचाना टंकण त्रुटि से अरमानों के स्थान पर अनमानों हो गया ,इस और ध्यान आकर्षित करना का हार्दिक आभार। कृपया इसे अरमानों ही पढ़ें। आपके तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on October 3, 2015 at 1:14pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना में निहित भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on October 3, 2015 at 1:13pm

आदरणीया प्रतिभा जी रचना के मनोभावों ने आपको प्रभावित किया मेरा प्रयास सफल हुआ।  आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का दिल से शुक्रिया। नेट व्याधान से आभार व्यक्त नहीं कर पाया , क्षमा चाहूंगा। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 3, 2015 at 1:01pm

आदरनीय सुशील सरना जी , बहुत भाव पूर्ण हृदय ग्राही लगी आपकी रचना ! दिल से बधाइयाँ ।

मेरे अधूरे अनमानों को   -- शायद आप अरमानों कहना चाहते हैं ?


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 3, 2015 at 10:42am

वाह  वाह.....  आ० सुशील सरना जी,उर्दू के बेहतरीन शब्दों को भावों के साथ बखूबी गूँथा गया दिल छू गई ये प्रस्तुति बहुत खूब दिल से बधाई स्वीकारें | 

Comment by pratibha pande on October 2, 2015 at 6:04pm

 'तुम इसे तवज्जो न देना 'सारी रचना प्रतिबिम्ब है इस एक गहरी पंक्ति का ,खूबसूरत बनी है पूरी रचना ,आपको ढेरों बधाई आदरणीय सुशीलजी 

Comment by Sushil Sarna on October 1, 2015 at 4:44pm

आदरणीय   डॉ.कंवर करतार 'खन्देह्ड़वी'  जी  रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by कंवर करतार on October 1, 2015 at 1:48pm

'सरना' साहिब ,खूबसूरत कविता के लिए बहुत बहुत बधाई I

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
11 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service