"कितने बडे परिवार में व्याह दिया तुमने माँ , एक बार भी नहीं सोचा कि कैसे निभाऊँगी मै ? "
"नहीं बिट्टो ऐसा नहीं कहते ,भरा - पूरा घर है तुम्हारा । ऐसे परिवार क़िस्मत- वालियों को मिलते है । "
"खाक क़िस्मत -वालियाँ , तुम नहीं जानती कि मुझे , इतनीss सारी रोटियां अकेले सेंकनी पडती है ।"
"घर के लोगों की रोटियां नहीं गिनते बिट्टो , नजर लग जाती है ।" माँ हल्की चपत लगाते हुए कह उठी थी उस दिन ।
माँ का लाड़ से मुस्कुरा कर रह जाना, आज उसे बहुत याद आ रहा था ।
पति की अचानक हुए रोड एक्सीडेंट में उनका मरणासन्न अवस्था और बडे़ परिवार का एकजुटता से बच्चे समेत उसको भी संभालना , आज रसोई पकाते हुए रोटियां गिनती में बहुत कम नजर आ रही थी ।
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
कथा पसंदगी के लिए तहे दिल से आभार आदरणीय Manoj kumar Ahsaas जी
कथा पर आपके द्वारा मेरा मनोबल बढ़ने के लिए तहे दिल से आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , .आपके द्वारा कथा पर अनुमोदन मिलना मेरे लिए एक अवार्ड के सामान है।
कथा पर मेरा हौसला बढाने के लिएतहे दिल से आभार आदरणीय मिथिलेश जी
ह्रदयतल से आभार आपको आदरणीय प्रतिभा जी कथा पर मेरा हौसला बढाने के लिए।
अखंडित परिवार का यही तो सबसे बड़ा फायदा है , दुख हो सुख आराम से बांट लिये जाते हैं । बहुत सुन्दर लघुकथा लगी आपकी , हार्दिक बधाई आपको ।
इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
वाह आदरणीया कांता जी बहुत ही सशक्त लघुकथा हुई है .....
वाह वाह आ० कांता जी,बहुत ही सार्थक प्रेरक लघु कथा लिखी है आज के माहौल में ऐसी लघु कथाओं की आवश्यकता है जो प्रेरणादायी हों तथा रिश्तों को जोड़ने में सहायक हों दिल से बधाई इस सुन्दर लघु कथा पर |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online