For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसने कामवाली को जरा-सा जोर से क्या डांट दिया, पति और बेटे दोनों ने ये कहकर अयोग्य घोषित कर दिया कि उसकी नाहक ही परेशान होने उम्र नहीं है। परिवार के दबाव में स्टोर की चाबी बहू को सौपते हुए उसे लगा था जैसे उसके किचन नाम के किले पर किसी ने सेंधमारी कर ली हो।  वह सोच में डूबी थी कि अचानक बहू के चिल्लाने की आवाज सुनकर बोली-

 “अरे बहू सुबह सुबह क्यों डांट रही है बच्चे को, अब एक दिन स्कूल नहीं जाएगा तो कोई पहाड़ नहीं टूट जाएगा।” दादी की शह पाकर बच्चा दादी के साथ ही लग लिया। पूरा दिन दादी के साथ ही रहा। बहू रात के भोजन के बाद बरतन समेटकर बच्चे को लेने पहुंची। “बहू अब सोते में मत ले जाओ..आज ये मेरे पास ही सोने की जिद कर रहा था इसलिए यही सुला लिया।”

बहू मन मसोसकर बच्चे की चिंता के साथ-साथ इस चिंता में चली जा रही थी कि खुद उसे नींद आएगी कि नहीं। आखिर छः सालों में पहली बार बच्चे के बगैर सोना था। बहू को चुपचाप जाते हुए देखकर, उसके चेहरे पर एक स्मित रेखा खींच आई। जैसे उसने भी दुश्मन के किले पर फतह हासिल कर ली हो।

-----------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
------------------------------------------------------------

Views: 873

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 9:54pm

आदरणीय रवि जी, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति से मेरा मान बढ़ गया. 

लघुकथा का कथानक एक सुबह से रात तक एक पूरे दिन का है जिसमे वह सुबह उठती है और कल उसके विशेषाधिकार छीन जाने की  घटना पर  सोचती है तभी बहू द्वारा बच्चे को डाटने की आवाज पर बच्चे का पक्ष लेती है. और पूरा दिन गुजरता है और रात की घटना. इस लिहाज से कालखंड पूरे एक दिन का है जो शायद लघुकथा के लिहाज़ से बड़ा है. घटनाएं अलग अलग काल खंड में घट रही है. अब इस दिशा में विचार कर लघुकथा पर पुनः विचार करता हूँ. मार्गदर्शन के लिए आभार ... बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Ravi Prabhakar on August 5, 2015 at 9:42pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर भाई जी, एक साथ इतनी सारी घटनाओं की वजह से लघुकथा का तानाबाना उलझ कर रह गया। /आज की सुबह उसे बहुत भारी लग रही थी।/ /वो रात बहुत भारी थी उसके लिए।/ लघुकथा का दो दिनों में विस्‍तार होना कालखंड का अतिक्रमण कर रहा है। सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 9:39pm

आदरणीय ओमप्रकाश जी, लघुकथा के मुखर अनुमोदन और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 9:38pm

आदरणीय विनय जी, लघुकथा के मुखर अनुमोदन और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 9:38pm

आदरणीय कृष्ण भाई जी, लघुकथा के मुखर अनुमोदन और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by Omprakash Kshatriya on August 5, 2015 at 9:35pm

आ  मिथिलेश जी आप की लघुकथा वास्तव में जोरदार है. जैसे बच्चा भी अपनी जित मना रहा हो. बधाई आप को .

Comment by विनय कुमार on August 5, 2015 at 9:27pm

बहुत बारीक पहलू निकाला आपने मानव स्वभाव का , सुन्दर लघुकथा | बधाई आदरणीय मिथिलेश जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 9:24pm

आदरणीया अर्चना जी, लघुकथा के मर्म पर सार्थक प्रतिक्रिया और अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 9:23pm

आदरणीया डॉ नीरज शर्मा जी, लघुकथा के मर्म पर अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 9:22pm

आदरणीया सविता जी, लघुकथा के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service