For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लात का असर / लघुकथा / कान्ता राॅय

आज सूरज बहुत ही खुश था । उसका घमंडी पडोसी उसके पास इतने सालों में पहली बार मदद माँगने जो आ रहा था ।

पडोसी और उसकी बीवी ने  पिछले पंद्रह साल से सूरज का जीना हराम कर रखा था । जबसे वह अपनी नवविवाहित पत्नी को लेकर आया तभी से इन दोनों ने उसको बहला फुसला कर अपने ही रंग में रंग लिया था ।

सालों के खुन्नस निकालने का सुअवसर आज आन पडा़ था ।

हुआ युँ की जाने कैसे पडोसी को पिछले कई दिनों से कमर में दर्द बैठा हुआ है ।

सब डाॅ0 से थक गये तो किसी नें कहा की जो उल्टा पैदा हुआ होगा उसकी लात खाने से ये कमर का दर्द बिलकुल ठीक हो जायेगा ,और सौभाग्य से सूरज उल्टा ही पैदा हुआ था ।

पत्नी का विशेष आग्रह कि उनको सूरज लात मारे और दिखावे के लिए अनमने मन से वो मान गया ।

आज सूरज ठान कर ही बैठा था कि उनकी कमर ठीक हो ना हो लेकिन उसके लात का असर ठीक ही पडना  चाहिए पडोसी  पर ।


कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on August 5, 2015 at 11:21pm
कथा पसंदगी के लिए आभार दिल से आपको आदरणीय हर्ष महाजन जी ।
Comment by kanta roy on August 5, 2015 at 11:19pm
प्रोत्साहन के लिए दिल से आभार आपको आदरणीय तेज वीर सिंह जी ।
Comment by kanta roy on August 5, 2015 at 11:19pm
बदले की भावना इंसान में सबसे बडी गलत प्रवृत्ति है । इसके वश में होकर सही गलत का निर्णय खो बैठता है । कथा पर उपस्थिति के लिए तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ आदरणीय डाॅ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ।
Comment by kanta roy on August 5, 2015 at 11:14pm
बिलकुल सही कहा है आपने आदरणीया राजेश कुमारी जी , खुन्नस निकालने वालों को तो कोई बहाना चाहिए । कथा पसंद करने के लिए तहे दिल से आभार आपको ।
Comment by kanta roy on August 5, 2015 at 11:12pm
आपको कथा अच्छी लगी ये मेरे लिए प्रोत्साहन भरी टिप्पणी है आपकी आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी । आभार
Comment by kanta roy on August 5, 2015 at 11:11pm
कथा पसंदगी के लिए तहे दिल से आभार आपको आदरणीय डा. आशुतोष मिश्रा जी ।
Comment by Harash Mahajan on August 4, 2015 at 10:32am

आदरणीय kanta roy जी एक सुंदर और भावपूर्ण लघुकथा के लिए बधाई सवीकार करें | दिली दाद !! साभार !!

Comment by TEJ VEER SINGH on August 4, 2015 at 10:29am

आदरणीय कांता जी, बहुत शानदार लघुकथा!हार्दिक बधाई!आपने बेहद रोचक विषय चुना!आजकल भी लोग टोने टोटके में विश्वास रखते हैं!पुनः बधाई!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 4, 2015 at 9:59am

बदले की विकत भावना . यह भी सोच का एक स्तर  है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 3, 2015 at 9:06pm

खुन्नस निकालने वालो को बस मौका चाहिए ...लघु कथा पढ़कर बरबस ही मुस्कान आ गई ..बहुत बहुत बधाई आ० कांता रॉय जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service