For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उंगलियाँ सब पर उठातें रहें है हम............

उंगलियाँ सब पर उठातें रहें है हम,
आईनों से चेहरा छिपातें रहें है हम,

भ्रष्टाचार को हमनें जरुरत बना लिया,
मुल्क को अपनें ड़ुबातें रहें है हम,

रोंशनी से तिलमिलाती है आंखें हमारी,
बेईमानी से नज़रें मिलातें रहें है हम,

सियासत के बकरों का पेट नही भरता,
देश को चारे में खिलातें रहे है हम,

कितने ही बच्चें सोतें हैं यहाँ भूखें,
और सांपों को दुध पिलातें रहें हैं हम,

'अन्ना जी' का बहुत बहुत शुक्रियां,
वर्ना तो धोखा ही खातें रहें हैं हम,

'अमि' कुछ कर लो अभी वक्त हैं,
सोने की चिड़ियां जलाते रहें हैं हम,

-अमि'अज़ीम'

Views: 594

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on August 1, 2011 at 2:15am

उंगलियाँ सब पर उठातें रहें है हम,
आईनों से चेहरा छिपातें रहें है हम, !! wah kya baat hai !! khoob!

Comment by अमि तेष on April 21, 2011 at 1:41pm
Thanks nemichand ji..
Comment by nemichandpuniyachandan on April 19, 2011 at 4:08pm
sundar rachana ke liye dhanyvaad.
Comment by अमि तेष on April 18, 2011 at 3:56pm
thanks Amar sir..
Comment by Amarjeet Yadav on April 15, 2011 at 6:59pm

bahut achha........

 

Comment by अमि तेष on April 12, 2011 at 12:12pm
jee Dhanybaad...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 11, 2011 at 9:05pm
अमितेश जी , इसबार आपने काफिया और रदीफ़ का पालन बाखूबी किया है, एक बार फिर बधाई |
Comment by अमि तेष on April 11, 2011 at 8:07pm
Thank you Veerendra ji..
Comment by Veerendra Jain on April 11, 2011 at 12:49pm
bahut hi umda Amitesh ji....badhai aapko...
Comment by अमि तेष on April 9, 2011 at 3:29pm
Thank you Arun sir...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service