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लघु कथा - मुर्गी का अंडा –

लघु कथा - मुर्गी का अंडा –

 नज़ीर भाई और रसूल मियां वर्षों से पडौसी थे!नज़ीर भाई की टैक्सियां चलती थी और रसूल मियां घर के पिछवाडे ही मुर्गी पालन और अंडे बेचने का काम करते थे!

एक दिन एक मुर्गी नज़ीर भाई के अहाते में घुस गयी!पीछे पीछे रसूल मियां उसे पकडने दौडे!रसूल मियां ने देखा कि मुर्गी ने नज़ीर भाई के अहाते में अंडा दे दिया!नज़ीर भाई ने अंडा उठा लिया!रसूल मियां ने मुर्गी को पकड लिया,साथ ही नज़ीर भाई से अंडा भी मांगने लगे!

नज़ीर भाई साफ़ मुकर गये,"अरे रसूल मियां ,यह अंडा तो मैं अभी बाज़ार से लाया हूं"!

 "नज़ीर भाई, यह अंडा तो मेरी ही मुर्गी का है ,पर कोई बात नहीं, आप रख लीज़िये , चलिये इस बहाने एक पडौसी की कीमत तो पता चल गयी"!

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on August 1, 2015 at 7:23pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्री सुनील जी,लघुकथा को सराहने हेतु!

Comment by shree suneel on July 22, 2015 at 10:01pm
अच्छी लघु-कथा कही अापने आदरणीय तेज वीर सिंह जी. हार्दिक बधाई आपको इस प्रस्तुति पर.
Comment by TEJ VEER SINGH on July 19, 2015 at 9:57pm

आदरणीय नीरज जी, ओमप्रकश जी, आपने अपना बहुमूल्य समय निकाल कर मेरी लघुकथा का अवलोकन किया, सराहना की, आपका हार्दिक आभार!

Comment by Dr. (Mrs) Niraj Sharma on July 19, 2015 at 12:56pm

बहुत सुन्दर लघुकथा आ. तेजवीर सिंह जी। बधाई

Comment by Omprakash Kshatriya on July 19, 2015 at 10:32am

 "नज़ीर भाई, यह अंडा तो मेरी ही मुर्गी का है ,पर कोई बात नहीं, आप रख लीज़िये , चलिये इस बहाने एक पडौसी की कीमत तो पता चल गयी"!.

इस एक पंक्ति ने लघुकथा में जान डाल दी आदरणीय  TEJ VEER SINGH  जी .

बधाई. बेहतरीन लघुकथा के लिए .

Comment by TEJ VEER SINGH on July 18, 2015 at 11:46am

Thank you Gumnaam ji

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 17, 2015 at 11:28am

वाह बहुत खूब ,,,,,,,,,,,,,,

Comment by TEJ VEER SINGH on July 17, 2015 at 9:42am

आदरणीय विनय जी, मिथिलेश जी ,आपका हार्दिक आभार!आपको लघुकथा अच्छी लगी, यह मेरे लिए गौरव की बात है!मैं इसे लिखने के बाद कई दिन तक यही सोचता रहा कि पोस्ट करूं कि नहीं! पुनः आभार!

Comment by विनय कुमार on July 16, 2015 at 11:55pm

बहुत सुन्दर लघुकथा , बिलकुल सटीक । आदमी का ईमान कितनी छोटी छोटी चीजों से डगमगा जाता है , बधाई इस रचना पर आदरणीय ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 11:49pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. इस सफल लघुकथा पर हार्दिक बधाई 

पंच लाइन बहुत बेहतरीन हुई है अपना पूरा प्रभाव  छोडती है. 

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