For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जैसे को तैसा (लघुकथा)

इधर  गॉव से ताई जी अपने परिवार के साथ, पूरे बीस दिन के लिये आ गयीं थी! उधर पिछले तीन दिन से काम वाली बाई नहीं आरही  थी!

आखिरकार पांच दिन बाद बाई जी आईं!जैसे ही बाई रसोई की तरफ़ बढी, ताई जी ने कडकती आवाज़ में उसे रोक दिया"ए रुको, पहले बताओ तुम कौन जाति की हो"!

"किसलिये, कोई रिश्ता करना है क्या"!

"अरे यह तो बडी मुंहफ़ट है"!

“क्यों बुरा लगा ना"!

"तुमको जाति बताने में क्या परेशानी है"!

"हमने तो कभी आपसे आप की जाति नहीं पूछी"!

"अरे वाह,तुम किसलिये पूछोगी हमारी जाति"!

"क्योंकि, जिस तरह आप अपनी जाति से छोटी जाति वाले से काम  कराना पसंद नहीं करते, तो हम भी अपने से छोटी जाति वाले के यहां क्यों काम करेंगे"!

.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 481

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on July 14, 2015 at 11:43am

आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय जी, आपका हार्दिक आभार जो आपने अपना अमूल्य समय निकाल कर मेरी लघु कथा का अवलोकन किया और सराहना की!पुनः आभार!

Comment by Omprakash Kshatriya on July 13, 2015 at 7:54pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH  जी

आप की  लघुकथा  में  कमाल की पंच लाइन बनी  है ."क्योंकि, जिस तरह आप अपनी जाति से छोटी जाति वाले से काम  कराना पसंद नहीं करते, तो हम भी अपने से छोटी जाति वाले के यहां क्यों काम करेंगे"!

बधाई आप को 

Comment by TEJ VEER SINGH on July 13, 2015 at 5:58pm

आदरणीय विनय जी, मिथिलेश जी,राजेश जी, प्रदीप जी,आप सभी गुणी जनों का हार्दिक आभार! मन तृप्त हो जाता है जब किसी रचना को इतने सारे गुणी जनों की सराहना मिल जाती है!पुनः आभार!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 13, 2015 at 5:37pm

बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है.  शीर्षक को सार्थक करती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी

Comment by विनय कुमार on July 13, 2015 at 1:25pm

वाह , बहुत बढ़िया , शीर्षक को परिभाषित करती रचना | बधाई इस रचना के लिए आदरणीय तेज वीर सिंह जी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 13, 2015 at 1:12pm

वाह वाह्ह  बहुत बढ़िया पंच्च लाइन बहुत खूब ...जैसे को तैसा ...शीर्षक को सार्थक करती लघु कथा बहुत- बहुत बधाई आ० तेजवीर सिंह जी .

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 13, 2015 at 12:25pm

आदरणीय महोदय सादर 

बहुत खूब , 

बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service