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कोशिश ___इस्लाह के लिए __मनोज कुमार अहसास

1222 1222 1222 1222


हमे ये गम हमारी ही खताओं से मिला होगा
सहारे इस कबूलत के नज़र को हौसला होगा


खुदा हमको ही लौटा देता है फेकें हुए पत्थर
हक़ीक़त जानकर किससे भला शिकवा गिला होगा


दुआ ये करता हूँ दिल में न कोई अब कभी उतरे
ज़रा नज़दीकियों से फिर नया एक फासला होगा


तसव्वुर बोझ बन जाये ज़माने मे तो फिर क्या हो
फक़त इस्लाह के हाथों से तब अपना भला होगा


बता'अहसास'तेरी बज़्म से उठ जाता तो कैसे
कदम कुछ जम गए होंगे कलेजा भी जला होगा


मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by maharshi tripathi on June 8, 2015 at 6:16pm

खुदा हमको ही लौटा देता है फेकें हुए पत्थर
हक़ीक़त जानकर किससे भला शिकवा गिला होगा....बहुत खूब आ. Manoj kumar Ahsaas जी ,,,आपको हार्दिक बधाई |

Comment by मनोज अहसास on June 8, 2015 at 3:05pm
थोड़े फेर बदल के बाद पुनः मार्गदर्शन की निवेदन सभी से
डॉ श्रीवास्तव जी पुनः एक निगाह डाल ले
इनायत होगी
मेहरबानी
सादर
Comment by मनोज अहसास on June 8, 2015 at 2:40pm
जी डॉ श्रीवास्तव जी
आपने बहुत जल्दी गलती बतादी शुक्रिया
ठीक करने का प्रयास करूँगा
सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 8, 2015 at 2:12pm

अहसास जी

बढ़िया है . मिला, हौसला ,गिला फासला के बाद सौंपना और गया क्यों  ? कोशिश रखे जारी  खूबसूरत  अहसास के साथ . सादर.

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