For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता की चोरी(कविता,मनन कु.सिंह)

कविता की चोरी
कविता छपी किताब में
'कविता' हुई प्रसन्न,
नाम अपर का देख कर
रह गयी फिर सन्न।
बोली जाकर अंकिता से
'तू करती कविता की चोरी,
मुद्रित मेरी,तूने मरोड़ी।'
अंकिता अलग गुर्रायी-
'कहाँ की है तू रे लुगाई?
कविता क्या होती पता है?
यह मेरे रग-रग में बसी है,
मेरे कुल-सरोवर की हंसी है,
मेरी विरासत, आदत है,
मत समझ तिजारत है,
कविता चुराकर थी छपवायी,
मेरी थी,छपी तो आ चिल्लायी,
जा कहीं पल्ले पड़,ऐसा न कर।'
कविता थी चुप,तार-तार रूप।
'मौलिक व अप्रकाशित'@मनन

Views: 547

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on May 28, 2015 at 6:30pm
सभी आदरणीय मित्रों की स्नेहिल टिप्पणियों के लिए मैं दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 28, 2015 at 12:38pm

इतनी ही कहूँगा विषय अच्छा उठाया गया .

Comment by Shyam Narain Verma on May 28, 2015 at 12:02pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 28, 2015 at 9:45am

वाह! आ० मनन जी सार्थक कविता!हार्दिक बधाई!

Comment by Neeraj Neer on May 28, 2015 at 9:01am

एक कटु सत्य को कविता के माध्यम से शब्द देने का सुंदर प्रयास ......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 27, 2015 at 11:06pm

आदरणीय मनन जी बहुत अच्छे विषय पर सार्थक कविता प्रस्तुत हुई है 

इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई 

Comment by Samar kabeer on May 27, 2015 at 10:45pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी,आदाब,आपकी कविता का विषय ,और इस विषय के अनुरूप ही आपकी कविता बेहद पसंद आई,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service