For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मजदूर कह औरत की तौहीन मत कर,
गम हैं बहुत उसे,और गमगीन मत कर।
उसके आँसू लबरेज हैं तीखी कथाओं से,
अब उन्हें देख,ज्यादा नमकीन मत कर।
खूब धुली अबतक कलम उसकी धार में,
लेखनी को देख,ज्यादा हसीन मत कर।
अर्थ की माफिक उसकी हकीकत कब ?
अर्थ वह खुद, खुद को जहीन मत कर।
नूर बख्शती रही वह ज़माने को कबसे,
छोड़ फिकरे,फिर पर्दानशीन मत कर।
'मौलिक व अप्रकाशित'@मनन(01/05/2015)

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on June 4, 2015 at 6:20pm

मैं तो बस इतना कहूँगा कि क्षर हूँ,अक्षर हूँ। 

काल के कपाल का एक निरक्षर हस्ताक्षर हूँ। सादर 

Comment by Manan Kumar singh on June 2, 2015 at 10:54am

आ॰ मित्रो, स्नेह-प्रदर्शन हेतु आभार। गजल के बारे में कक्षा में ज्ञानार्जन चल रहा है, इसीलिए अभी कवितायें ही लिखी जा रही हैं, सदर। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 28, 2015 at 10:57am

मननजी, आप पोस्ट डाल रहे हैं और वे सभी एप्रुव हो रहे हैं. कारण कि आप जैसे नव-हस्ताक्षर का मनोबल बढ़ा रहे. हम भी आपको लिखने के लिए बधाई कह रहे हैं. लेकिन आप ग़ज़ल की बारीकियों से पूरी तरह अनजान हैं. ऐसा क्यों है ?
शुभ-शुभ

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 27, 2015 at 12:59pm

वाह! सुन्दर प्रस्तुति!बधाई आ० मनन जी!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 25, 2015 at 3:58pm

अच्छी कोशिश की है आपने , सस्नेह .

Comment by Samar kabeer on May 25, 2015 at 3:22pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service