प्यासी देह .....
मन की कंदराओं में किसने .......
अभिलाषाओं को स्वर दे डाले .......
किसकी सुधि ने रक्ताभ अधरों को ......
प्रणय कंपन के सुर दे डाले//
मधुर पलों का मुख मंडल पर ........
मधुर स्पंदन होने लगा .........
मधुर पलों के सुधीपाश में ........
मन चन्दन वन होने लगा//
नयन घटों के जल पर किसकी .......
स्मृति से हलचल होने लगी ........
भाव समर्पण का लेकर काया .......
मधु क्षणों में खोने लगी//
किसको छूकर हृदय द्वार पर .......
पवन ने दस्तक दे डाली ......
नृत्य भाव में मग्न हो गयी ......
प्यासी देह की हर डाली//
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय narendrasinh chauhan जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीय Shyam Narain Verma जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीय Ayub Khan "BismiL जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीय aman kumar जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार।
आदरणीय Sushil Sarna जी लाजवाब रचना के लिये बधाई ...सादर
SUNAR BHAV POORN RACHNAA - BADHAEE MTIRA
वाह!,मन के भावों को बहुत ही सुन्दर शब्द मिलें है..हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील जी सादर!
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