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शब्दों को नापना नहीं आता

शब्दों को नापना नहीं आता
अक्षर गिनते कतराती हूँ
छोड़ मुझे दौडने लगते
पकडने में गिर जाती हूँ
शब्दों को नापना नहीं आता
अक्षर गिनते कतराती हूँ
तले मन गहन समंदर
तल समंदर में खो जाती हूँ
लहरे मेरी सखी सहचरी
लहरों संग खेल जाती हूँ
शब्दों को नापना नहीं आता
अक्षर गिनते कतराती हूँ
कर जाती हूँ कुछ भी कैसा
चढ जाती हूँ मै मीनार भी
घात बात सह नही पाती
दोहरे लोगों से घबराती हूँ
रोके कितना मुझे जमाना
मन पहाड़ चढ जाती हूँ
शब्दों को नापना नहीं आता
अक्षर गिनते कतराती हूँ


कान्ता राॅय
भोपाल

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by kanta roy on May 5, 2015 at 8:01am
बिलकुल सच कहा आपने कि फिर गजल तो नहीं लिख पाऊँगी ....अरमान बहुत हैकि सब कर जाती लेकिन दुविधाओं से कतराती हूँ ..... उम्मीद है आदरणीय मोहन सेठी 'इंतजार ' जी कि एक दिन शायद आप और मै दोनों ही सीख जाये अक्षरों को भी गिनना । आभार रचना पसंदगी के लिए ।
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 5, 2015 at 7:55am

भावपूर्ण रचना बहुत अच्छी लगी ....बधाई (अगर आप "शब्दों को नापना नहीं आता अक्षर गिनते कतराती हूँ" तो आप ग़ज़ल तो नहीं लिख पायेंगी ...मेरी तरहां )....सादर 

Comment by kanta roy on May 5, 2015 at 7:12am
आभार आपको आदरणीय श्री सुनील जी मेरा हौसला वर्धन के लिए
Comment by shree suneel on May 5, 2015 at 12:59am
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया कांता राॅय जी. बधाई
Comment by kanta roy on May 5, 2015 at 12:14am
आदरणीय समीर कबीर साहब कोशिश की थी चंद अपनी नाकामयाबी की दास्तान लिखने की ... दोस्तों ने उसे सर पर रख लिया और कविता कह दिया ...... आभार आपको हृदय तल से मेरा हौसला अफजाई के लिए ।
Comment by Samar kabeer on May 5, 2015 at 12:04am
मोहतरमा कान्ता जी,आदाब,बहुत ही अच्छे अन्दाज़ में पेश किये हैं अपने विचार, कविता का पूरा रस है आपकी रचना में,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |
Comment by kanta roy on May 4, 2015 at 10:43pm
हृदय तल से आभार आपको आदरणीय डाॅक्टर विजय शंकर जी मुझे शब्दों से खेलना सिखाने के लिए ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 4, 2015 at 10:12pm
शब्दों को नापना नहीं आता,बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बधाई, आदरणीय ,
शब्दों को नापना नहीं आता,
बाँधना तो आता है,
कवि हैं आप, साधना भी आता है,
बस शब्दों से खेलना शुरू कर दीजिये,
खिलौनों की तरह, चोट नहीं करेंगे , कभी भी।
सादर।
Comment by kanta roy on May 4, 2015 at 9:10pm
आभार आपको आदरणीय मनोज कुमार एहसास जी
Comment by मनोज अहसास on May 4, 2015 at 8:19pm
bahut khub

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