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आज शादी की वर्ष गाँठ पर एक लघु कथा आप सबके लिए ....“वेडिंग एनिवर्सरी”

“क्या कहा शाम को छुट्टी दे दूँ ? रूपा क्या कह रही हो तुम्हे अच्छे से पता है  आज हमारी वेडिंग एनिवर्सरी की पार्टी है ऐसे में तुम्हे छुट्टी ? चुपचाप शाम को तुम दोनों ढंग के कपड़े पहन के आना बहुत  लोग आयेंगे, दीपू बाहर सर्व करने में हाथ बटाएगा” सोनिया थोड़ा गुस्से से बोली|

“वो क्या है न मेमसाब जी,आज हमे पिक्चर जाना था आज हम दोनों की भी” ...रूपा ने बीच में ही दीपू के मुख पर हाथ धर दिया और बात काट कर बोली “जी मेमसाब हम आ जायेंगे”|

उसकी आँखों में झिलमिलाये आँसू मेमसाहब और दीपू से छुपे न रह सके|

शाम को पार्टी में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच बड़ा सा केक काटा गया|

फिर अचानक सोनिया ने कोने में खड़े दीपू और रूपा को बुलाया|

 एक दूसरा केक लाया गया जिस पर लिखा था ‘दीपू वेड्स रूपा’ पास में ही रात की शिफ्ट की पिक्चर की  दो टिकटें  रखी थी |

रूपा और दीपू के दिल की कसक आँखों से बह निकली....    

मौलिक एवं अप्रकाशित          

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 3, 2015 at 1:56pm
बहुत सुंदर. बहुत प्यारी सी लघुकथा, सच! लघुकथा बहुत भावपूर्ण है, दिल को छू जाती हुई इस रचना पर आपको बधाई, दीदी. शादी की वर्ष गाँठ पर आपको दिली शुभकामनायें
सादर!
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 3, 2015 at 10:33am
प्रेरक, बधाई , आदरणीय सुश्री राजेश कुमारी जी , सादर।

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