For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- ज़िन्दगी जोड़ने घटाने में

फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन/फ़ेलान

ज़िन्दगी जोड़ने घटाने में
आगए मौत के दहाने में

सब ही सुनते हैं शौक़ से उसको
ज़िक्र तेरा हो जिस फ़साने में

गालियाँ खाके भी निगलते रहे
हीरे मोती थे उसके खाने में

उसकी आँखो का वो फ़ुसूं,तौबा
आगए हम भी वरग़लाने में

ये उसी नस्ल के तो हैं,जिनका
नाम है हड्डियाँ चबाने में

जैसे हो वैसे क्यूँ नहीं दिखते
मसलहत क्या है मुस्कुराने में

आप ईमान लाए हो भाई
फिर भी तकरार सर झुकाने में

दिल को कितना सुकून मिलता है
उसकी आयात गुनगुनाने में

लोग क्या क्या ख़रीद लेते थे
इक ज़माना था,एक आने में

वो अलादीन का नहीं था,प हाँ
इक दिया था ग़रीब ख़ाने में

कितने माहिर हैं ये सियासत दाँ
ना रवा को रवा बनाने में

मिल गए अब तो चश्मदीद गवाह
देर क्यूँ फ़ैसला सुनाने में

कितने कंजूस हैं ये आलिम भी
इल्म की रोशनी दिखाने में

बा अदब,बा मुलाहिज़ा,हुश्यार
ये सदा दो,"समर" है आने में

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 828

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on May 4, 2015 at 3:29pm
जनाब विजय निकोरे जी,आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on May 4, 2015 at 3:28pm
जनाब जितेन्द्र पस्टारिया जी,आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on May 4, 2015 at 3:27pm
आली जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब,आपकी शिर्कत ने मेरी ग़ज़ल का मान बढ़ाया,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by vijay nikore on May 4, 2015 at 3:07pm

खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई। 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 4, 2015 at 12:11pm

बहुत खूबसूरत गजल, आदरणीय समर साहब. हर शेर तारीफ़ के काबिल हुआ है. दिली बधाई आपको

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 3, 2015 at 4:40pm
लोग क्या क्या ख़रीद लेते थे
इक ज़माना था,एक आने में ॥
क्या वक़्त देखा है, क्या वक़्त देख रहे हैं , एक वो भी ज़माना था , इक ये भी ज़माना है॥
बहुत खूब , बहुत खूब , पूरी ग़ज़ल क्या खूब बनी है , आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार, बहुत बहुत बधाईयाँ , सादर।
Comment by Samar kabeer on May 3, 2015 at 2:55pm
आली जनाब सौरभ पाँडे जी,आदाब,आपकी बारीक बीनी का तो मैं पहले ही से क़ाइल हूँ,आपकी शिर्कत से ग़ज़ल का मान बढ़ गया,अब मैं मुतमइन हूँ,ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
Comment by Samar kabeer on May 3, 2015 at 2:50pm
जनाब मोहन सेठी 'इन्तिज़ार' जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और हौसला अफ़ज़ाई के लिये दिल से शुक्रगुज़ार हूँ, सब को हुशयार करने के लिये मज़ीद शुक्रिया |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 3, 2015 at 2:13pm

आदरणीय समर साहब..

शेर दर शेर दाद कुबूल करें.

’एक आने’ वाले शेर पर मैं सहज नहीं हो रहा था. लगा था, अनावश्यक एक शेर बढ़ा दिया आपने. ग़लत. एक समय से उसीको सोच रहा हूँ.. ओढ़ रहा हूँ, बिछा रहा हूँ ! बाँध लिया है इसने ! ये होती है किसी मुकम्मल शेर की ताक़त !

बधाइयाँ..

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 3, 2015 at 11:43am

बहुत ख़ूब ..बधाई ...जी वैसे हुश्यार कर दिया है सब को....

बा अदब,बा मुलाहिज़ा,हुश्यार
ये सदा दो,"समर" है आने में 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service