For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

श्री नवीन जी लीजिये गुझिया खासमखास

मावा इनमे नहीं पर ...,  भरा प्रेम अहसास१ 
मेरी राधा विरह में , आहें भरे हज़ार ...
श्याम-सलोने के बिना क्या होली त्यौहार...२ 
रंग लगा कुछ इस तरह, रंगा सकल विश्वास 
श्याम रंग से बिखरता, चारो ओर प्रकाश ३.
जलती होली में जला अपने सारे पाप
मन दर्पण को कीजिये भैया पहले साफ़ ...४.
जलती होली से निकल सिया कहें हे राम !
पावनता तो बिक चुकी अब शंका के दाम ...५ 
टेसू फूलें वृक्ष पर सरसों फूले खेत 
फागुन में फिर शेष क्यों मन की काली रेत..६ 
लगातार जलजला औ सुनामी की मार 
धन्य  -धन्य जापान तुम कभी न जाना हार ..७ 
 नवीन जी के साथ ओ.बी.ओ. के मेरे सभी मित्रों को होली की लेट लतीफ़ गुझियों की प्यार भरी भेंट ....कृपया मेरी लगातार अनुपस्थिति को नज़रंदाज़ कर अपने बड़प्पन का परिचय दीजिये और मुझे शुभ कामना भी कि मैं अपनी पत्नी को कैंसर से जल्दी  मुक्त करा सकूं
डॉ.ब्रिजेश   

 

Views: 406

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 4, 2011 at 9:23pm

होली में पुआ खाने-खिलाने का रिवाज़ है.  आपको बताऊँ कि मुझे पुआ ताज़ा नहीं बासी अच्छा लगता है. औरों की नहीं जानता पर मुझे बासी या बसियौरा पुआ ज्यादा रुचता है.. आपकी रचना में उसी बसियौरे पुए की मिठास है.

टेसू फूलें वृक्ष पर सरसों फूले खेत 
फागुन में फिर शेष क्यों मन की काली रेत..
अच्छा प्रश्न है.. सुधी पाठक उत्तर देंगे.. आशा है.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2011 at 8:18pm

आदरणीय ब्रिजेश भईया , आपने जिस अपनापन और प्यार के साथ इस गुझिया को भेजा है, ह्रदय अभिभूत हो गया , आप तो ससमय भेजे थे किन्तु मै ही बिलम्ब कर दिया , बहुत ही अच्छा लगा आपकी रचना पढ़कर |

OBO परिवार ईश्वर से कामना करता है कि शीघ्र से शीघ्र भाभी जी स्वस्थ लाभ करे | बहुत बहुत धन्यवाद जो इतनी व्यस्तता के बावजूद हम सब से संवाद स्थापित किये |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service