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Dr.Brijesh Kumar Tripathi's Blog (47)

वियोग-रस

पलों को बीतने में लग रहीं सदियां

बेक़रारी हो औ सुकूं आये कब हुआ है ये

हसीन पल भी ज़िन्दगी के नहीं कटते काटे

और वो हैं क़ि रुक गए दहलीज़ पे आते आते

छा गए हैं वो ख़्वाब में क़हर बन के

कि पलकें भी अब झुकाने में बहुत डर लगता

उनके जाने की तारीख तो मुकम्मल लेकिन

वो आंएगे कब इसका कहाँ पता चलता...

आँख के आंसू सब बयां करते है

भरे गले से शब्द कहाँ झरा करते हैं

ये वफा थी न थी अब परवा कहाँ किसको

टूट कर दिल तो बस आहे…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on June 27, 2016 at 5:30pm — 3 Comments

मुक्त कथ्य

जबतक तलाश थी सहारे की ऐ नादां !

तन्हा हमें यूँ छोड़, कारवां गुज़र गये...

अब हम सहारा खुद के जब से बना किए

हम एक हैं, पर देखो कन्धे अनेक हैं

कागज़ की नाव की क्या थी बिसात, तैरे

जबतक न हवाएं-लहरें हो साथ मेरे

तिनके भी आंधियों मे वृक्षों से ऊपर लहरें

नामुमकिन होता मुमकिन, जब वक्त लेता फेरे

रुक न पाया सफर ये चलता रहा है राही

पर साथ साथ बढ़ती राहों की भी लम्बाई

किससे करे वो शिकवे होनी कहाँ सुनवाई

मंज़िल की…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on June 26, 2016 at 1:00pm — 5 Comments

अच्छे दिन

अच्छे दिन की यही तो शुरुआत है

सब बिज़ी ही रहें,खुशनुमा बात है

बात तन्हाइयों की चलाना नही

सब अंधेरे हो रुखसत, तो क्या बात है!!

झटका बिजली का अबतक तो खाया नही

रोशनी है मुसलसल,बड़ी बात है

जिन्दगी के सबब, वे सिखाने चले

जो जिये ही नही,क्या अज़ब बात है

मुफलिसी जिन्द़गी की अमानत सही

नूर झांका कमश्कम शुरुआत है

फालतू जिन्दगी यूँ ही ढोते रहे

एक मिशन अब मिला, खुशनुमा बात है

संगदिल बिन हुये सब चलें संग संग

आज सूरज से अपनी मुलाकात है

रोशनी हाथ…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on April 20, 2016 at 10:39am — No Comments

एक दिन की लिली

एक दिन की लिली …

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on August 4, 2015 at 4:30pm — No Comments

सावन

हरियाली हर ले गई,  सबके मन की पीर 

झूले पड गए वृक्ष  में  झूल रही हैं…
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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on July 26, 2015 at 5:30am — 7 Comments

नए हाइकू

झरना फूटा
संगीत फ़ैल गया
हुआ बावरा

यात्रा अनंत
लक्ष्य का पता नहीं
चलाचल रे

नदी की धारा
रोके नही रूकती
हारीं चट्टानें

मानव मन
उड़ने को आतुर
पंख फैलाये

कोलाहल में
गहराया एकांत
भागी उदासी
.
यह मेरी अप्रकाशित और मौलिक रचना है
डॉ.बृजेश कुमार त्रिपाठी

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on July 10, 2015 at 8:30am — 4 Comments

अनुभव (दोहे)

जीवन के जिस राग  का अनुभव में था ताप l  

बिन उसके जीवन वृथा, धन-वैभव या शाप ll 

 

भय वश मैं झिझका रहा प्रेम न फटका पास l 

गहरी नदिया पास थी अमिट और भी प्यास ll

 

मैं क्या जानूं उसे जो,   छिप कर करता वार  l

जीवन-रस अमृत सही,  छलक रहा हो सार  ll

 

कुछ तो फूटा है यहाँ, फैला है अनुराग l

बिन बदली भीगा बदन, ठंढी-ठंढी आग ll

 

यह सुगंध अनुराग की बढ़ा रही है चाह…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on May 24, 2015 at 6:00am — 8 Comments

शुभ विचार

हरिगीतिका

क्षण मात्र भी बिन कर्म के कोई नहीं रहता कभी

सत्कर्म या दुष्कर्म में ही व्यस्त दीखते हैं सभी

तज स्वत्व व निज स्वार्थ को जो…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on December 18, 2012 at 7:30am — 2 Comments

फगुनाई गज़ल

फागुन बुला रहा मन खोले

मितवा आज किसी का होले

बौराई आमों की डालें

कोयल कुहू कुहू स्वर बोले

झूम रही खेतों में सरसों

हवा चल रही हौले…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on March 8, 2012 at 8:00pm — 3 Comments

होली की मस्ती

बिना भंग की मस्ती छाई रे....   होली आई रे

आओ सारे लोग-लुगाई रे.....      होली आई रे

होली आई होली आई होली आई रे.....होली आई रे

 

 

सपा के सर पे ताज आज…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on March 8, 2012 at 3:00pm — 1 Comment

कबूतरबाजों के पिंजरे से ....

जो अपने इल्म-ओ-मेहनत से जहाँ सारा सजा देते

ये मेहनत गांव में करते तो घर अपना बना लेते ..१

 

भरम तो टूटते हैं तब वतन की याद  आती जब

अगर पैसे से मिलता तो सुकूँ थोडा मंगा लेते ...२

 

कहाँ मालूम था परदेस भी दर है जलालत का

नहीं तो हम कभी भी गांव से क्यों कर विदा लेते ?...३.

 

हंसी में इस तरह मायूसियत हरगिज़ नहीं होती

ज़रा अपने वतन की खिलखिलाहट को सजा लेते…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on November 29, 2011 at 8:00am — 3 Comments

एक विचार

संघर्ष जीवन के कठिन नीरस बनाते हैं हमें

कर्तव्य-पथ के शूल भी बहुधा डराते हैं हमें

भटकें न हम हरहाल में,आगे निरंतर हम बढे

जबतक ये लक्ष्य अलक्ष्य है,न पग रुकें न मन थके..१.

 …

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 30, 2011 at 4:30pm — 1 Comment

संकल्प

   

शपथ  

राखी की मुझे

बहन  

 

देश की

रक्षा में होना

कुर्बान

 

मन में

पालना नहीं  

दुविधा

 

 रखूंगा   

 सदा देश का

 सम्मान     

 

बहना

खिला अब तो    

मिठाई....

 

एकादशी विधा में लिखे ये छंद गणेश भैया मैं आपको समर्पित करता हूँ ...आप इस विधा के अविष्कार कर्ता हैं ..इसलिए प्रथम प्रतिक्रिया के लिए आप से अनुरोध भी करता हूँ

 

डॉ.…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on August 18, 2011 at 3:42pm — 2 Comments

मेरा विश्वास

सच्ची प्रीति में पगी जो प्रार्थना की रीति ये तो

नेह नीति में विरह की गाँठ न लगाइए

जब भी प्रेम भाव से बुलाया जाय आपको तो

भक्तों के काज आप बनाने चले आइये

आप मूर्तिमान हैं निधान  हैं दया के…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on June 29, 2011 at 10:54pm — No Comments

कैसे दोगे पीर ...?

स्वाती की बूंदों सा टपका

स्नेह, बन गया मोती

विरहा चातक जलता फिरभी

बन दीपक की ज्योती...



नयनों में छवि छोड़ सदा को

चाँद बस गया दूर…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on May 15, 2011 at 8:25am — 5 Comments

मैं जंगल का मोर

मैं जंगल का मोर
शहर में कैसे नाचूँ....
कहाँ मेरी चित चोर 
मैं जिनके नैना बाचूँ
दिखे मेरी मन मीत
कुहू कर उसे बुलाऊँ
छलके मन की प्रीत
झूमकर नाचूं गाऊँ 

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on May 11, 2011 at 8:42am — No Comments

जुड़वां -हाईकु

१ चोरों की दसों

उंगलियाँ घी में औ

माथे कढ़ाही....

 

जागते रहो....

शहर की पुलिस

सो गयी अब…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on April 11, 2011 at 11:00pm — 2 Comments

तितली

तितली के इतने रूपों को

कभी न देखा 

कभी न जाना परखा मैंने ..

देखा तो बस मैंने इतना

रंगबिरंगी उडती तितली

पलक झपकते पर सिकोड़ती और…

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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on April 5, 2011 at 10:13am — 5 Comments

होली की गुझियाँ

 

श्री नवीन जी लीजिये गुझिया खासमखास

मावा इनमे नहीं पर ...,  भरा प्रेम अहसास१ 
मेरी राधा विरह में , आहें भरे हज़ार ...
श्याम-सलोने के बिना क्या होली त्यौहार...२ 
रंग लगा कुछ इस तरह, रंगा सकल विश्वास 
श्याम रंग से बिखरता, चारो ओर प्रकाश ३.
जलती होली में जला अपने सारे पाप
मन दर्पण को कीजिये भैया पहले साफ़ ...४.
जलती होली से निकल सिया कहें हे राम !
पावनता तो बिक चुकी अब शंका के दाम…
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Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on March 27, 2011 at 10:00am — 2 Comments

VISHWA-CUP

विश्व-कप में
टीम इंडिया आई
आस जगाई.....१


इंतजार में 
जोरदार तैयारी
है बेक़रारी ...२

माही! तुम में
ज़ज्बा है हिम्मत भी
सामने आओ ...३

देश का मान
विश्व-कप जीत के 
भारत लाओ ....४

 
अब सचिन! 
शतकों के शतक  
का इंतजार  .....५.

विश्व-कप में 
चासनी घोलता है 
दे भी जाओ न......६ 

 

खेलो न  पूरे
जी जान से निराली
टीम इंडिया ....७

BRIJESH

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on March 4, 2011 at 10:00pm — No Comments

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