For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लिव इन रिलेशनशिप (लघुकथा)

एमबीबीएस की स्टूडेंट मुस्कान तीन सालों से लिव इन रिलेशनशिप में रह रही थी। जिसकी खबर लगते ही पूरे घर में हंगामा हो गया।
"मेरी पोती होकर तुम ऐसा काम कर रही हो मैंने कितनी मेहनत से समाज में अपनी इज्जत बनाई है........"
"नाजायज संबंध रखने वाली मेरी बेटी तो कतई नहीं हो सकती। बदचलन कहीं की। हमारे प्यार और विश्वास का ये शिला दे रही हो। अभी बनाता हूँ तुम्हें डॉक्टर.........."
"पापा, बहुत हो गया आप लोगों का ड्रामा! रवि एक बहुत अच्छा इंसान है हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते हैं अपनी पढाई पूरी करने के पश्चात हम दोनों शादी करेंगे। मैंने खुद आपको कितनी बार नौकरानी के तलवे चाटते देखा है और आप मेरे सच्चे प्यार को नाजायज ठहरा रहे हो। दादा जी जब आप उस कोठेवाली रेशमा के पास जाते हो तब तो आपकी इज्जत खराब नहीं होती!"

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 841

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on February 4, 2015 at 6:02pm

Badhaayi Aadhraniya Vinod Khanagwal sir. 

Khare khare shabado me aaeinaa dikhati lazawaab rachna.

Lekin kya 'live-in-relatioship" ka ye rishta sabi jagah itani hi imaandaari se nibhaaya jaata hai.......??

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2015 at 4:32pm

अच्छी लघुकथा. इसे पढ़कर एक क्षेत्रीय कहावत की याद आ गई " भुआ ससुराल छोड़के, मायके में बैठी है और भतीजी से कह रही है कि ससुराल में सबकी सेवा करना"  बहरहाल बधाई आपको आदरणीय विनोद जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 4, 2015 at 12:47pm

नैतिकता की दुहाई देने वाले बुजुर्गों की पोल खोलती सुंदर रचना के लिए बधाई श्री विनोद जी 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 3, 2015 at 8:31pm

आदरणीय विनोद जी  “लिव इन रिलेशनशिप” वास्तव में बहस का विषय हो सकता है, वो अलग बात है , पर आपकी ये लघुकथा कई तरह की छिपी हुई रिलेशनशिप पर सटीक प्रहार कर रही है , सार्थक लघुकथा ,हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by विनोद खनगवाल on February 3, 2015 at 6:52pm
लघुकथा पर आप सभी की टिप्पणियों का हार्दिक स्वागत है। "लिव इन रिलेशनशिप" एक विवादित विषय ही है जिसे हमारी संस्कृति मान्यता नहीं देती है लेकिन कानूनी मान्यता के कारण यह प्रचलन में भी है।
कुछ चीजें ऐसी हैं जिसे लोग लुक-छिपकर मान्यता देते हैं लेकिन गलती से अगर किसी दूसरे की सामने आ जाती है तो लोग ड्रामा बना देते हैं। खुद कभी कबूल नहीं करना चाहते हैं।
आप सभी का बहुत बहुत आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 3, 2015 at 3:45pm

पूरा घर ही कमाल का है सभी सदस्य लगभग नैतिकता की सीमाएं लांघ चुके है, एक दूसरे को आईना दिखाकर गलतियाँ गिना रहे है, लग रहा है, होड़ लगी हो कि  तेरी गलती मेरी गलती से बड़ी या छोटी, यही सिद्ध करने का प्रयास हो रहा है. ड्रामा ही ड्रामा... इस घर में वाकई प्यार और विश्वास को शिला (पत्थर) बना दिया है. लिव इन रिलेशनशिप से रेशमा के कोठे तक की दास्तान यानी  बड़ा व्यापक विस्तार .... आदरणीय बागी सर की सटीक टिप्पणी - हा हा हा हा, मतलब खानदानी चरित्रहीनों की कहानी है - को दोहराते हुए इसे लघुकथा के कच्चे प्लाट के रूप में देख रहा हूँ. इसे लघुकथा बनने में समय है. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 3, 2015 at 12:30pm

ये क्या है ? लघुकथा कहना क्या चाहती है ?

किसी अतिरेक को व्यापक बनाना कुछ समझ में नहीं आया.

शुभेच्छाएँ

Comment by मोहन बेगोवाल on February 3, 2015 at 11:45am

 इस लघुकथा में जो थीम पे बात कहने की कोशश की गई , मेरी समझ मुताबिक अगर इस का कथा को मजबूती से उभारा जाता तो  अच्छा होता , इस तरह एक बात को सही जतलाने दूसरी बात का सहारा लेने की कोशिश करना 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 3, 2015 at 10:35am

जिसका बड़ा भाई हो शराबी, छोटा पिए तो है क्या खराबी !! 

हा हा हा हा, मतलब खानदानी चरित्रहीनों की कहानी है, लिव रिलेशनशिप और सच्चा प्यार ......खैर यह विवादास्पद और चर्चा का विषय है.

//"पापा, बहुत हो गया आप लोगों का ड्रामा"//

अगर दिल से कहूँ तो इस लघुकथा में कथा कम और ड्रामा ही अधिक दिखा.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। दोष होना तो…"
22 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 हंस उड़ने पर भला तन बोल क्या रह जाएगाआदमी के बाद उस का बस कहा रह जाएगा।१।*दोष…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"नमन मंच 2122 2122 2122 212 जो जहाँ होगा वहीं पर वो खड़ा रह जाएगा ज़श्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह…"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
7 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service