" क्या हुआ सलीम साहब , चेहरा इतना उतरा हुआ क्यूँ है ? कहीं फिर इस बार टिकट का मसला तो नहीं फंस गया "|
" नहीं , कुछ नहीं , बस यूँ ही तबीयत कुछ नासाज़ लग रही है "| टाल तो दिया उन्होंने लेकिन अंदर ही अंदर कुछ खाए जा रहा था | पिछली बार भी यही हुआ था , आखिरी समय तक आश्वासन मिलता रहा था कि सीट आपकी पक्की है , इस बार भी उम्मीद नहीं दिख रही |
अगले दिन उन्होंने अख़बारों में खबर छपवा दी " सलीम साहब ने अपनी पार्टी का टिकट ठुकराया "| शाम तक उनको दूसरी पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया |
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी ..
आदरणीय विनय कुमार जी ,सटीक एवं समयानुकूल चयन हेतु सादर अभिनन्दन |
बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम मठपाल जी ..
Aadarniya vinay kumar ji,
Aaj ki rajniti ka ek sahi chitran kiya hai. Dil se badhai
Cheharon par chehari hain
Yon mat dekhiye ghav bahut gahre hai.
बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी..
राजनीति का सच i बधाई i
बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी..
बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी..
Bahut Khoob Aadhrniya Vinay Kumar ji....Mokkaparastha logo ki neeyat kitane sundar shabado me prastoot ki hai aapne....
वाह ! बहुत खूब. अब तो राजनीति में दल बदलना मानो एक प्रथा के सामान हो गया है.
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