For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौत ने काटी फसल और जिंदगी बोती रही

रात में फुटपाथ पर इक बेबसी रोती रही,
लोग तो जागे मगर संवेदना सोती रही,

शाम होते ही जमीं पर तीरगी छाने लगी,
आसमानों में सुबह तक रोशनी होती रही,

याद की चादर वो अपने आंसुओं की धार से,
दर्द की कालिख मिटाने के लिए धोती रही,

किसलिए इतनी मशक्कत, जब उसे पीना नहीं
शहद मधुमक्खी न जाने किसलिए ढोती रही

ऐ खुदा तेरी खुदाई का सबब ये भी मिला,
मौत ने काटी फसल और जिंदगी बोती रही।।

.

(अतुल)
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 928

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by atul kushwah on January 27, 2015 at 5:19pm

आदरणीय शिज्जू शकूर भाई साहब, आभार आपका, कृपया स्नेह बनाए रखिए। सादर

Comment by atul kushwah on January 27, 2015 at 5:17pm

आदरणीया महिमा जी..बहुत आभारी हूं आपका। सादर—अतुल

Comment by khursheed khairadi on January 27, 2015 at 11:03am

याद की चादर वो अपने आंसुओं की धार से,
दर्द की कालिख मिटाने के लिए धोती रही,

किसलिए इतनी मशक्कत, जब उसे पीना नहीं
शहद मधुमक्खी न जाने किसलिए ढोती रही

आदरणीय अतुल जी उम्दा ग़ज़ल हुई है |सभी अशहार लाज़वाब है |सादर अभिनन्दन 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 27, 2015 at 10:40am

आदरणीय अतुल भाई ,बढिया ग़ज़ल कही l हार्दिक बधाइ l


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2015 at 6:23pm

शाम होते ही जमीं पर तीरगी छाने लगी,
आसमानों में सुबह तक रोशनी होती रही,

याद की चादर वो अपने आंसुओं की धार से,
दर्द की कालिख मिटाने के लिए धोती रही,

किसलिए इतनी मशक्कत, जब उसे पीना नहीं
शहद मधुमक्खी न जाने किसलिए ढोती रही               -------------  बढिया ग़ज़ल कही आदरणीय अतुल भाई , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 26, 2015 at 5:01pm
सुन्दर गजल
Comment by sunita dohare on January 26, 2015 at 2:38pm

किसलिए इतनी मशक्कत, जब उसे पीना नहीं

शहद मधुमक्खी न जाने किसलिए ढोती रही.....बहुत खूब लिखा आपने .....हार्दिक बधाई आपको !

Comment by Hari Prakash Dubey on January 26, 2015 at 11:53am

आदरणीय मिथिलेश जी ने मन की बात कह दी , पर कोई बात नहीं , वैसे आप इस मंच से भी अपनी रचनायें शेयर कर सकतें हैं ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 26, 2015 at 11:43am

किसलिए इतनी मशक्कत, जब उसे पीना नहीं
शहद मधुमक्खी न जाने किसलिए ढोती रही

ये शेर अब तक अप्रकाशित है इसके लिए हार्दिक बधाई. साथ ही मिसरा-ए-सानी बेबह्र हुआ है देख लीजियेगा.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 26, 2015 at 11:38am

आदरणीय अतुल कुमार कुशवाहा 'मौसम' जी इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई. एक निवेदन है कृपया पूर्व प्रकाशित रचनाएँ पुनः पोस्ट न करे. ये ग़ज़ल कई वेबसाइट/ब्लॉग/ सोशल साईट पर आप प्रकाशित कर चुके है. सुलभ सन्दर्भ हेतु एक दो लिंक 

https://www.facebook.com/permalink.php?id=1568730170022210&stor...

http://atulkushwah.jimdo.com/2014/12/25/new-blog-post/

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service