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ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

चादर झीनी देख कबीरा

मैली ओढ़ी देख कबीरा

जीना मरना सब साथ चले

काया साझी देख कबीरा

ईश भगत का रिश्ता ऐसा

भूखा रोटी देख कबीरा

ऊँच नीच का अंतर कैसा

काया माटी देख कबीरा

यम इक राजा मिलना चाहे

आत्मा रानी देख कबीरा

मौलिक व अप्रकाशित

गुमनाम पिथौरागढ़ी

आपके सुझाओं व समालोचना की प्रतीक्षा में ......

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on January 23, 2015 at 10:43pm
रोचक प्रस्तुति, बधाई आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 23, 2015 at 10:40pm
आदरणीय गुमनाम जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई। वाकई रदीफ़ का जादू बोल रहा है। बहुत बहुत बधाई।
जीना मरना साथ चले सब
काया साझी देख कबीरा
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 23, 2015 at 9:34pm

धन्यवाद भाई जी ............


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 23, 2015 at 9:28pm

आदरणीय गुमनाम जी बड़ी अनोखी रदीफ़ को खूबसूरती से निभाया आपने बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

कृपया ध्यान दे...

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