For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम आए नहीं

तुम आए नहीं-आएगें कहकर

और एक हम थे चले आए कुछ नही कहकर

इसी उम्मीद से की तुम आओगे ज़रूर

चाहे हो जितना मज़बूर |

वक्त जाता रहा,निगाह ठहरी रही

दिल धड़कता रहा ,सोच ठहरी रही

तुम आ गए लगा यूँ ही रह –रहकर

तुम आए नहीं –आएगें कहकर,

कॉल बजती रही नाद आया नही

प्रश्न उठते रहे ,जवाब आया नही

मायुस होता रह मन सितम सह-सहकर

तुम आए नहीं-आएगें कहकर |

शाम जाती रही ,यकीं जाता रहा

क्यों किया यकीं ,अफ़सोस आता रहा,

यही सोचता रहा ,चहल कर-करकर

तुम आए नहीं आएगें कहकर

और फिर आखिर में ना मायूसी रही,

ना खामोशी रही,ना आस रही,ना एहसास रहा

गुजर गई एक शाम फिर

तेरे इंतजार की तपिश सह-सहकर

तुम आए नहीं-आएगें कहकर |

सोमेश कुमार (०९/०९/२००९)(मौलिक एवं अप्रकाशित )

 

 

Views: 387

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 31, 2014 at 10:31am

"तुम आए नहीं-आएगें कहकर |" बहुत  भावपूर्ण  रचना रची है | हार्दिक  बधाई  श्री सोमेश कुमार जी 

Comment by Ram Ashery on December 31, 2014 at 9:47am

मेरी वंदना

प्रभु मेरी वंदना सुनो, शुभ आशीष सबको दीजिए

नव वर्ष के आगमन पर, कल्याण सबका कीजिए ।

दुष्ट पापी नीच दांनव का अब दलन तुम कीजिए

प्रेम करुणा सद्भाव मैत्री का बीज तुम बो दीजिए ।

गरीब और कमजोर सबका, सारा दुख हर लीजिए

सूर्य की पहली किरण संग, उपहार हमको दीजिए ।

ज्ञान ज्योति पहुंचे घर घर, अंधकार सब हर लीजिए

बच्चा कोई अशिक्षित न रहे, ऐसी व्यवस्था कीजिए ।

सब बाधा को दूर कर, प्रगति पथ प्रशस्त कीजिए

ज्ञान की अविरल धारा को,लोगों तक पहुंचा दीजिए ।

मंदिर मस्जिद गिरजा से अब निजात सबका कीजिए

हम खड़े हैं यह आस लेकर हम पर उपकार कीजिए । 

सभी विघ्न बाधा तोड़कर, एक सरल राह बना दीजिए  

सदियों से पिछड़े लोगों का, उत्थान अब कीजिए ।

गरीब का कहीं शोषण न हो, अब निश्चित कीजिए

झूठे मक्कार लोगों को, अब तत्काल सजा दीजिए ।

देश प्रगति में बाधा का, भगवन तुरंत संहार कीजिए

भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों का, पर्दा फास कीजिए ।

समाज से अन्याय मिटे, ये न्याय सबको दीजिए

सही और गलत चुन सकें, सद्बुद्धि सबको दीजिए ।

माँ बहनें सभी सुरक्षित हो,विश्वास जागृत कीजिए

सुख समृद्धि मिले सबको, संस्कार सबको दीजिए ।

प्रेम पुष्प चहुं ओर खिले, वाटिका विकसित कीजिए

पशु पक्षी भयभीत न हो, ये विकास सबका कीजिए।   

देश की विषाक्त होती नदियों की, अब सुरक्षा कीजिए

अब शीतल मंद समीर बहे, ऐसा सुंदर प्रबंध कीजिए ।

देश में अमन और सौहार्द बढ़े, उत्थान सबका कीजिए

हमारी सीमाएं सुरक्षित हो,अब ताकत हमको दीजिए ।

अत्याचार को हम मिटा सके, शक्ति हमको दीजिए

दुश्मन का मर्दन कर सके, वो अस्त्र हमको दीजिए ।

प्रभु मेरी वंदना सुनो, राम आश्रय को अमर कीजिए  

नव वर्ष के आगमन पर, कल्याण सबका कीजिए ।

मौलिक एव अप्रकाशित

राम आश्रय

 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 30, 2014 at 7:29pm

गुजर गई एक शाम फिर

तेरे इंतजार की तपिश सह-सहकर

तुम आए नहीं-आएगें कहकर |

कभी कभी ऐसा होता है ...आदरणीय श्री सोमेश कुमार जी!

Comment by Hari Prakash Dubey on December 29, 2014 at 11:11pm

प्रश्न उठते रहे ,जवाब आया नही.......बहुत सुन्दर सोमेश भाई ,हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 29, 2014 at 10:51pm

तुम आए नहीं-आएगें कहकर

इसी उम्मीद से की तुम आओगे ज़रूर

वक्त जाता रहा,निगाह ठहरी रही

अफ़सोस आता रहा,

और फिर आखिर में मायूसी रही,

तुम आए नहीं-आएगें कहकर

आदरणीय सोमेश भाई आपके शब्द, आपकी पंक्तियाँ , आपके लिए 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 29, 2014 at 10:44pm

बढ़िया आदरणीय प्रयासरत रहें

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 29, 2014 at 7:32pm

तुम आए नहीं

तुम आए नहीं-आएगें कहकर

और एक हम थे चले आए कुछ नही कहकर

इसी उम्मीद से की तुम आओगे ज़रूर

चाहे हो जितना मजबूर --------------------------------- सोमेश जी  बहुत सुन्दर i  पथ  प्रशस्त हो i सस्नेह i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"    प्रस्तुति की सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय मिथिलेश जी. सादर "
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service