For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रभाव-क्षेत्र

प्रभाव-क्षेत्र

अलग होना ही पर्याप्त नहीं है

मुखर होना भी जरूरी है

प्रखर होना और भी जरूरी है

इसी से बनती है पहचान

लोग यूँ ही नहीं सौपते अपनी कमान |

तीर सिर्फ विरोध के चलाना

कामों में अवरोध लाना

लोग लेते हैं तुम्हें जान

पर कर नहीं पाते गुमान |

नेतृत्व एक दायित्तव है

सत्ता एक कड़वा जहर

भाषण एक सामूहिक जलसा

अमलीकरण जेठ-दग्ध दोपहर |

सपने बेचना जानते हो

विज्ञापन के जादूगर हो तो

बाज़ार में हलचल तो कर सकते हो

पर ब्रांड एक विश्वास होता है

जो कमियों को स्वीकारते हुए बढ़ता है|

आँधियों में देर तक जली मशाल

कालजयी कहलाती है

जल बुझी तिलियों को दुनियाँ

सर्वप्रथम बिसराती है

महत्त्व तीली का भी है

महत्त्व मशाल का भी है

पर रोशनी का दीप्तिमान

उसका दायरा बनाता है

जिसका प्रभाव-क्षेत्र जितना बड़ा हो

वो उतना ही प्रकाशमय कहलाता है |

.

सोमेश कुमार

(मौलिक एवं अप्रकाशित ) 

Views: 616

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 25, 2014 at 12:14pm

महत्त्व तीली का भी है

महत्त्व मशाल का भी है

पर रोशनी का दीप्तिमान

उसका दायरा बनाता है

जिसका प्रभाव-क्षेत्र जितना बड़ा हो

वो उतना ही प्रकाशमय कहलाता है |

अभिनन्दन और बधाई! आदरणीय सोमेश जी 

Comment by somesh kumar on December 24, 2014 at 11:47am

प्रेणना-प्रदान करने व रचना पर अपनी अमूल्य टिप्पणी देने के लिए सभी साथियों और आदरणीय अग्रजों का हृदय से आभार |

Comment by harivallabh sharma on December 23, 2014 at 11:38pm

सुन्दर रचना एक कुशल नेतृत्व को ध्यान देने योग्य प्रेरक रचना हेतु बधाई आदरणीय.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 23, 2014 at 10:27pm

भावप्रधान अभिव्यक्ति पर बधाई सोमेश जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 23, 2014 at 9:23pm

भाव अच्छे हैं बधाई स्वीकार करें

Comment by Chhaya Shukla on December 23, 2014 at 8:50pm

हार्दिक बधाई देती हूँ आपकी रचना बहुत अच्छी लगी सादर नमन !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 23, 2014 at 5:56pm

आँधियों में देर तक जली मशाल

कालजयी कहलाती है

जल बुझी तिलियों को दुनियाँ

सर्वप्रथम बिसराती है ....इस  सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई.सोमेश भाई ! 

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 23, 2014 at 5:27pm

आदरणीय सोमेश जी आपकी ये पंक्ति पूरी कविता को बाँध रखी है.." जिसका प्रभाव-क्षेत्र जितना बड़ा हो

वो उतना ही प्रकाशमय कहलाता ह|"..... बहुत-2 बधाई इस कालजयी रचना के लिये|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 23, 2014 at 4:42pm
सुन्दर प्रस्तुति बधाई।
Comment by khursheed khairadi on December 23, 2014 at 12:09pm

आँधियों में देर तक जली मशाल

कालजयी कहलाती है

जल बुझी तिलियों को दुनियाँ

सर्वप्रथम बिसराती है

आदरणीय सोमेश जी सुन्दर भाव है |हार्दिक अभिनन्दन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service