For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

                  

     वह चालीस वर्ष का हट्टा –कट्टा जवान था I बस में मेरी खिड़की के करीब आया I डबडबायी आँखों से मेरी ओर देखा –‘बाबू जी मेरी माँ अस्पताल में दम तोड़ रही है, उसकी दवा लेने गया था, फकत इक्कीस रुपये कम पड़ गए है I बाबू जी आप मेहरबानी कर दे तो मेरा माँ शायद बच जाय I अल्लाह आपको नेमते देगा I’

      उसकी आँखों से आंसू  छलक पड़े I मुझे तरस आ गया I मैंने उसे रुपये दे दिए I वह दुआ देता आँखों से ओझल हो गया I  

      किसी कारण से मेरी बस वही रुकी रही I इतने में दूसरी बस आ गई I मैंने देखा वही व्यक्ति फिर हठात प्रकट हुआ i उसकी आँखे फिर डबडबाई I वह दूसरी बस के एक मुसाफिर को संबोधित कर बोला- बाबू जी मेरी माँ अस्पताल में दम तोड़ रही है------

 

 (मौलिक /अप्रकाशित)

Views: 673

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 22, 2014 at 12:58pm

जवाहरलाल जी

आपने वजा फरमाया  i ठगना भी एक आर्ट है i

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 22, 2014 at 12:40pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी, आपने सुना होगा दिल्ली में अंधे का नाटक कर भीख माँगने वाले व्यक्ति को चर्चित फिल्म PK में अभिनय करने का चांस मिला.  अब इसे क्या कहेंगे ..एक कलाकार को बढ़ावा या नाटक कर भीख माँगनेवाले की 'ताजपोशी' ..सादर!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 21, 2014 at 9:34pm

विजय् सर !

आपका ह्रदय से आभार  i सादर i

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 21, 2014 at 8:48pm
कुछ लोग कमा के कहते हैं ,
कुछ मांग कर काम चलाते हैं ।
हर वर्ग संवर्ग में भरे पड़े हैं ऐसे लोग। एक संस्कृति है इनकी भी , कला है, हमीं लोगों
का प्रोत्साहन भी रहता है. सदियों से चल रहा है. लागु कथा सुन्दर , बधाई डॉ o गोपाल नारायण जी।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 21, 2014 at 8:27pm

जीतू जी

आपको स्वस्थ और सक्रिय देखकर मन को अच्छा लगा i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 21, 2014 at 8:25pm

हरिवल्लभ जी

ऐसे ही अनुभवों से भावुकता मुर्खता लगने लगती है i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 21, 2014 at 8:24pm

योगेन्द्र जी

यह लघुकथा सत्य घटना पर आधारित है i  सस्नेह i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 21, 2014 at 8:23pm

सोमेश कुमार जी

आपका कथन सही है i  सस्नेह i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 21, 2014 at 8:22pm

हरि प्रकाश जी

आपका अनुमोदन प्रेरक भी है i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 21, 2014 at 8:21pm

श्याम नारायन  वर्मा जी

आपका आभार  श्रीमन i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service