For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ लिखना चाहता हूँ

पर सोचता हूँ क्या लिखूं 

कलम जब होती है हाथ में

दिल करता है कुछ सांय-सांय

सोचता हूँ

पुण्य लिखूं

सेवा लिखूं, सम्मान लिखू

हाथ से फिसलता आसमान लिखूं

सत्य लिखूं , प्रेम लिखूं

ममता लिखूं , मौन-व्यापार लिखूं

किसी उजड़ी बस्ती का हाहाकार लिखूं

पाप लिखूं, शाप लिखूं

मन का परिमाप लिखूं

भूख लिखूं , स्वार्थ लिखूं

टी वी से झांकता

आधुनिक परमार्थ लिखूं 

थाना लिखूं, जेल लिखूं

खूनी राजनीति के सौ-सौ खेल लिखूं

गीत लिखूं ,प्रीति लिखूं

कवि का संभाव्य लिखूं

सांवले क्षितिज पर

काल का काव्य लिखूं

पोथी लिखूं, भेद लिखूं

पाश्चाताप खेद लिखूं

या नए युग का

कोई एक वेद लिखूं

 

मै अकेला नहीं लिखता

एक बड़ी जमात है

लिख रहा है युगों से

लिखेगा युगो तक

पर आज मेरा और सबका

हाथ कांपता है

जब कोई कहता है

हाँ, लिखो

आदमी  !

(मौलिक/अप्रकाशित )

 

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 12, 2014 at 10:53pm

आपने सोचते सोचते सब कुछ लिख दिया ...वाह शानदार अभिव्यक्ति ,रचना के अंतिम चरण ने तो रचना को बहुत ऊँचाइयाँ बख्शी हैं 

बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय. 

Comment by somesh kumar on December 12, 2014 at 7:32am

मन में तूफान थे मेरे सैकड़ों 

बस कागजों से किनारा मिल ना सका 

मैं दबाए हुए था सहस्त्र रश्मियाँ 

बस मनचाहा सितारा मिल ना सका 

हृदय की धरा पे थे कई पुष्प-बीज 

पर सुगन्धियों भर पुष्प खिल ना सका 

जो भी आप ने लिखा वो सभी लिखने वालों की मनोव्यथा है आदरणीय 

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 12, 2014 at 3:05am
कहने को बहुत कुछ है ,
बस हम कह नहीं पाते ,
लिखने को क्या नहीं है
बस हम लिख नहीं पाते ॥
बहुत ही भावपूर्ण गंभीर अभिव्यक्ति , बधाई आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 12, 2014 at 12:05am

मै अकेला नहीं लिखता

एक बड़ी जमात है

लिख रहा है युगों से

लिखेगा युगो तक

पर आज मेरा और सबका

हाथ कांपता है

जब कोई कहता है

हाँ, लिखो

आदमी  !

नमन इस रचना के लिए और बधाई आपको 

Comment by Naval Kishor Soni on December 11, 2014 at 10:44pm

bahut sunder sir----------congratulation.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 11, 2014 at 8:15pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर आपकी कलमकारी को नमन है जिस तरह की रचना आप जैसे अनुभवी व्यक्ति के कलम से ही निकल सकती है यूँ लगता है सारे विषयों को आपने बस एक पन्नें में समेट दिया है। सादर बधाई आपको।

Comment by Meena Pathak on December 11, 2014 at 6:08pm

सर..मैं भी कलम दांतों में दबाये सोचती हूँ क्या लिखूँ ...................अद्भुत रचना | सादर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
19 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service