For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छै दोहे – गिरिराज भंडारी

********************

भाव शिल्प में आ सके , बस उतना ही बोल

मन का दरवाज़ा अभी , मत  पूरा तू  खोल

यदि कोशिश निर्बाध हो, सध जाता है   छंद

घबरा मत , शर्मा नहीं, गलती  से मति मंद

गेय बनाना है अगर , छंद , कलों  को  जान

और रचेगा छंद जब , कल  का रखना मान

शिल्प ज्ञान को पूर्ण कर , याद रहे गुरु पाठ

इंसा होके काम तू  , मत करना ज्यों  काठ

चाहे बातें  हों  कठिन , रखना  भाषा  आम

समझें  ना पाठक अगर , सब कुछ है  बेकाम

जब भी कहना बात कुछ , तार्किकता हो खूब

लेकिन बातें  कह वही , तू  जिससे   मंसूब

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

Views: 499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2014 at 5:28pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी , आपका हार्दिक आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2014 at 5:27pm

आ. सौरभ भाई , आपका बहुत बहुत शुक्रिया , सराहना के लिए और सलाह के लिए , अभी संशोधित कर रहा हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2014 at 5:25pm

आ. राम शिरोमणि भाई , आपका बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2014 at 5:25pm

आदरणीय बड़े भाई ,गोपाल जी आपका आभार , गलतियाँ बताने के लिए , अभी संशोधन कर  रहा हूँ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2014 at 5:23pm

आदरणीया वन्दना जी , आपका बहुत आभार

Comment by annapurna bajpai on September 7, 2014 at 5:22pm

सुंदर दोहे , आ0 गिरिराज जी ,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 7, 2014 at 3:14pm

आदरणीय गिरिराजभाईजी, आपने तो छन्द शास्त्र के मूलभूत विधान को ही शब्दबद्ध कर दिया है !  बहुत खूब आदरणीय !

वैसे दोहा छन्द के शिल्पगत दोषों से आप बच सकते थे. आदरणीय गोपाल नारायनजी ने सारी बातें कह दी हैं. मैं भी आदरणीय के कहे से सहमत हूँ.

सादर

Comment by ram shiromani pathak on September 7, 2014 at 12:59pm
आदरणीय गिरिराज जी दोहों के माध्यम से बहुत सटीक जानकारी......सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 12:31pm

मित्र

गेय बनाना है यदि --एक मात्र कम है -- गेय बनाना है अगर

न समझे पाठक यदि - द० मात्र कम है - ना समझे पाठक अगर

 ऐसा होता है कभी i पर आपके दोहे बहुत सुन्दर और भावपूर्ण है i  सादर i

Comment by vandana on September 7, 2014 at 7:32am

बहुत सुन्दर सीख सहित दोहे आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
17 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service