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एक ग़ज़ल..भारती की शान हिंदी (हिंदी दिवस पखवाड़े पर)

हैं अनेकों धर्म भाषा, ...एक हिंदुस्तान है l
मातृभाषा हिन्द की, हिंदी हमारी जान है ll
--
देश की संस्कृति रिवाजों पर हमें भी गर्व हो l
भारती की शान हिंदी, . विश्व में पहचान है ll
--
नृत्य शंभू ने किया, डमरू बजा, ॐ नाद का l
देववाणी के सृजन से ..विश्व का कल्यान है ll
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पाणिनी ने दी व्यवस्था व्याकरण की विश्व को l
हम सनातन छंद रचते ...गीत लय मय गान है ll
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सूर तुलसी जायसी, ......भूषण कवि केशव हुए l
चंद मीरा पन्त दिनकर, काव्य मय रसखान है ll
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भार मात्रा व्यंजनों में, शब्द सब उत्तम गढ़े l
रस अलंकारों सजी .भाषा सुलभ गुणखान है ll
--
शब्द भण्डारों भरी यह विश्व की सिरमौर जो l
आंग्लता से हो प्रभावित. खो रही सम्मान है ll
--
मातृ भाषा, देश पर, जिसको नहीं हो गर्व वह l
पशु नराधम के सरीखी .....देश की संतान है ll
**हरिवल्लभ शर्मा दि.०२.०९.२०१४ 
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by harivallabh sharma on September 3, 2014 at 1:46pm

आदरणीय Shyam Narain Verma जी ग़ज़ल पर स्नेहिल टीप हेतु आपका हार्दिक आभार.

Comment by Shyam Narain Verma on September 3, 2014 at 11:18am
" बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें । "

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