For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नव गीत ////आबाद होंगे कब जीवन मरुस्थल !

सोचता रहता हूँ

उदासियो में घिरकर

प्रतिक्षण-प्रतिपल 

आबाद होंगे कब जीवन -मरुस्थल ?

 

काल की क्रूरता ने

मेरे प्रयासों को

आशा-उजासो को

जीवन-विकल्पों को  

कर डाला धूमिल

कर्म हुआ निष्काम

कार्य भी निष्फल

आबाद होंगे कब जीवन-मरुस्थल ?

 

सूने शून्य जीवन में

नियति के बंधन से

करुणा से क्रंदन से

पूरे जो न हो पायें

स्वप्न हुए चंचल  

पंगु प्रेरणा के पग

शान्त और निश्चल

आबाद होंगे कब जीवन-मरुस्थल ?

 

प्रातः की बेला ने

मुस्क्याते फूलो से

सरिता के  कूलों से

सन्देश भेजा यूँ

लहराकर कलकल

रुकना ही मरना है

चलता जा अविरल

आबाद होंगे तब जीवन-मरुस्थल !

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

 

   

Views: 673

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 27, 2014 at 9:41pm

आशुतोष जी

आपका आभारी हूँ  i

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 27, 2014 at 2:56pm

आदरणीय गोपाल सर ...बहुत ही सार्थक सन्देश देती चिंतन से ओतप्रोत शानदार रचना हेतु ढेरों बधाई सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 26, 2014 at 6:13pm

आदरणीय विजय जी

आपका  सतत आभारी हूँ i

Comment by विजय मिश्र on August 26, 2014 at 6:03pm
निश्चित ही जीवन संजीवन देने वाली और निरंतर क्रियाशीलता हेतु ऊर्जावान करने वाली सशक्त रचना |बधाई आ० गोपालजी |
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 26, 2014 at 4:55pm

प्रिय मित्र

आपक स्नेह सर आँखों पर i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 26, 2014 at 4:54pm

महनीया

आपका प्रोत्साहन मिला i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 26, 2014 at 4:53pm

पवन कुमार जी
आपका आभार i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2014 at 8:44pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , लाजवाब गीत रचना की है , हल देती हुई अंतिम पंक्तियों के लिए विशेष बधाइयाँ |

प्रातः की बेला ने

मुस्क्याते फूलो से

सरिता के  कूलों से

सन्देश भेजा यूँ

लहराकर कलकल

रुकना ही मरना है

चलता जा अविरल

आबाद होंगे तब जीवन-मरुस्थल ! खूब , बहुत सुन्दर |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2014 at 8:19pm

बहुत सुन्दर अप्रतिम प्रस्तुति ...ढेरों बधाईयाँ सादर 

Comment by Pawan Kumar on August 25, 2014 at 5:40pm

बहुत सुन्दर ....
सादर बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service