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मन में सद्विचार रहे, नेक करे वह काम,

फल की इच्छा छोड़कर, कर्म करे निष्काम

कर्म करे निष्काम,  भाव संतोषी पाते

काम क्रोध मद लोभ स्वार्थ के रंग दिखाते

कर लक्षमण सद्कर्म नम्रता रहे वचन में

गीता में सन्देश, रहे निश्छलता मन में ||

(2)

करे प्रशंसा स्वयं की, और स्वयं से प्रीत,

आत्म मुग्ध के आग्रही, ये दर्पण के मीत

ये दर्पण के मीत,  संग चमचों के रहते

अपने को सर्वोच्च अन्य को तुच्छ समझते

कह लक्ष्मण कविराज इन्हें भाती अनुशंसा

इनको होता हर्ष, तभी जब करे प्रशंसा ||

(मौलिक व अप्रकाशित) 

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 9:51pm

करे प्रशंसा स्वयं की, और स्वयं से प्रीत,

आत्म मुग्ध के आग्रही, ये दर्पण के मीत

ये दर्पण के मीत,  संग चमचों के रहते

अपने को सर्वोच्च अन्य को तुच्छ समझते

कह लक्ष्मण कविराज इन्हें भाती अनुशंसा

इनको होता हर्ष, तभी जब करे प्रशंसा ||             बहुत खूब भाई लक्ष्मण , लाजवाब कुण्डलिया के लिए बधाई |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2014 at 8:25pm

मन में सद्विचार रहे, नेक करे वह काम,

फल की इच्छा छोड़कर, कर्म करे निष्काम

आदरणीय लडीवाला साहब, सुन्दर विचारों से ओतप्रोत सुन्दर कुण्डलियाँ ...आपकी कुण्डलियाँ मैं हमेशा पढता हूँ आगे भी पढता रहूँगा ... 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2014 at 11:08am

आ० भाई लडीवाला जी, बहुत सुन्दर कुण्डलिया हुई है ,हार्दिक बधाई .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 19, 2014 at 11:00am

कुण्डलिया छंद पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया मीना पाठक जी एवं कल्पना मिश्रा जी 

सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 19, 2014 at 10:27am

छंद सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार सर्वश्री डॉ विजय शंकर जी, एवं डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी |

सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on August 18, 2014 at 8:40pm

करे प्रशंसा स्वयं की, और स्वयं से प्रीत,

आत्म मुग्ध के आग्रही, ये दर्पण के मीत.................... सार्थकता दर्शाते शब्द । सर आप को बहुत बधाई 

Comment by Meena Pathak on August 18, 2014 at 7:37pm

बहुत सुन्दर कुण्डलिया ..सादर बधाई स्वीकारें

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 18, 2014 at 6:29pm

लडीवाला जी

बहुत सुन्दर कुण्डलिया i

बेहद सुंदर i

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 18, 2014 at 4:51pm
" फल की इच्छा छोड़कर, कर्म करे निष्काम " कृष्ण जन्माष्टमी को एक सही शिक्षा .
सुन्दर रचना , बधाई , आदरणीय लक्षमण लाडीवाला जी .

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