For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया छंद - लक्ष्मण लडीवाला

ईद मनाये हम सभी गले मिले सब आज

सर्व धर्म सद्भाव के अकबर थे सरताज |

अकबर थे सरताज, सभी का मान बढाया

नवरत्नों के साथ, गर्व से राज चलाया

सभी तीज त्यौहार सुखद अनुभूति कराये

बढे ह्रदय सद्भाव सभी अब ईद मनाये |

(2)

नदियाँ सा बहता रहे, करे रक्त संचार

इडा पिंगला सुषम्ना संचारित आधार |

संचारित आधार रुधिर इनमे ही बहता

करे साधना योग वही बलिष्ठ भी रहता

करले लक्ष्मण ध्यान यही शरीर की निधियां

महाकुम्भ का स्नान कराती जैसे नदियाँ ||

(3)

नदी बनाती राह यूँ, संगम का रख चाव

गंगा यमुना सुरसती, भरे ह्रदय सद्भाव

भरे ह्रदय सद्भाव, उष्ण ताप भी सहती

करे नहीं आराम, सतत वह बहती रहती 

कृषकों का सौभग्य नदी जल लहरे लाती

निखरे शहर स्वरूप राह भी नदी बनाती

(मौलिक व अप्रकाशित)  

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2014 at 12:05pm

कुण्डलिया पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री विजय निकोरे जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2014 at 9:35am

छंद सराहने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी | लय भंग को दुरस्त करने का सुझाव देने के लिए धन्यवाद 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2014 at 9:34am

कुण्डलिया छंद पसंद करने के लिए शुक्रिया श्री गिरिराज भंडारी जी | लय में पराव की कमी बताने के लिए धन्यवाद 

Comment by vijay nikore on July 31, 2014 at 7:02am

कुण्ड्लियाँ अच्छी लगीं। बधाई।

Comment by coontee mukerji on July 30, 2014 at 12:53pm

बहुत ही सुंदर कुण्डलियाँ है.....पढ़कर बहुत अच्छा लगा....सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 30, 2014 at 11:28am

बहुत सुन्दर कुण्डलिया रची हैं आ० लक्ष्मण जी ,आ० गिरिराज जी की बात से सहमत हूँ कहीं कहीं लय भंग है और आप अवश्य दुरुस्त कर लेंगे मुझे विशवास है बहुत- बहुत बधाई आपको सादर  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 30, 2014 at 10:39am

ईद एवं तीज की शुभ कामानाओ सहित हार्दिक आभार सर्व श्री डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी एवं डॉ विजय शंकर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 29, 2014 at 10:58pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , कुण्डलियों की अच्छी रचना की है , बधाइयाँ ! प्रवाह में कुछ कमी ज़रूर लगी ||

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 29, 2014 at 2:08pm
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी , बधाई. बहुत सुन्दर भाव युक्त रचना है .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 29, 2014 at 12:13pm

लडीवाला जी

अच्छी प्रस्तुति है i बधाई हो i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service