For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ताव नित देते रहे..

ज्ञान के वटराज जिनको छॉंव नित देते रहे।
आरियों के वार से वो घाव नित देते रहे।।

कालिदासों को वही विद्योत्मा कैसे मिले,
पंडितों के ज्ञान को वो दॉंव नित देते रहे।

शब्द मुखरित सोच कुंठित कर्म कौरव का वरे,
धर्म के उत्कर्ष में बस ताव नित देते रहे।

चाहना की झाड़ में फॅस जब मलय वन त्यागते,
वक्त-सौरभ-धैर्य-साहस ठॉव नित देते रहे।

शारदे साहित्य व्यंजन में जगह कब द्वेष की,
मन-विषय-विष वासना भटकाव नित देते रहे।

डाल के हर फूल कोमल धूल में मिलते यहॉ,
देवताओं पर चढे़ कुछ  भाव नित देते रहे।।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 424

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 12, 2014 at 5:13am

आ0 गोपाल भाई, प्रदीप सरजी, राम अवध भाई, भण्डारी भाई व सौरभ सर जी,  भाई जी, आप सभी का बहुत बहुत आभार।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 6:50pm

भाई केवलजी, आपकी संवेदनशीलता और स्पष्टता कई दफ़े चकित कर देती हैं. चलिये आपने जो कुछ कहा है उसके अपने निहितार्थ हैं.

लेकिन शिल्पगत कई विन्दु अभी साधे जाने हैं. काफ़िया निर्धारण में छाँव और घाव साथ नहीं आ सकते. अन्यथा सिनाद दोष होता है. आपने तो शब्द दाँव भी लेलिया है.
हार्दिक बधाइयाँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 5, 2014 at 5:31pm

आदरणीय केवल भाई , अति सुन्दर हिन्दी गज़ल के लिये आपको बधाइयाँ ॥

शारदे साहित्य व्यंजन में जगह कब द्वेष की,
मन-विषय-विष वासना भटकाव नित देते रहे--------------------  बहुत खूब भाई केवल जी , बधाई ॥

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on August 4, 2014 at 5:40pm

ज्ञान के वटराज जिनको छॉंव नित देते रहे।
आरियों के वार से वो घाव नित देते रहे।।

उम्दा ग़ज़ल वह भी ठेठ देवनागरी मे भाई क्या कहने मतला लाजबाब बधाई.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on August 4, 2014 at 3:22pm

आदरणीय केवल जी 

सादर 

अति सुन्दर दोहे 

सब का मन मोहे 

बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 4, 2014 at 12:47pm

केवल जी

बहुत सुन्दर i

चाहना की झाड़ में फॅस जब मलय वन त्यागते,

वक्त-सौरभ-धैर्य-साहस ठॉव नित देते रहे।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
55 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service