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ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

ये  तो गूंगों की नगरी है भैया जी

सरकार हमारी बहरी है भैया जी

 

दंगों में दोस्त दोस्त क्यों मरते हैं

प्यार मुहब्बत भी बकरी है भैया जी

 

राजा को वनवास कहाँ अब मिलता है

आस लगाये अब शबरी है भैया जी

 

दिखावटी का अफ़सोस जताता है वो

वो शख्स बड़ा ही शहरी है भैया जी

 

कुछ खत जले कहीं जब शहनाई गूँजी

आशिक की डूबी गगरी है भैया जी

मौलिक व अप्रकाशित

गुमनाम पिथौरागढ़ी

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Comment

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Comment by gumnaam pithoragarhi on July 27, 2014 at 10:56am

बलवे में दोस्त यार ही क्यों मरते हैं

प्यार मुहब्बत भी बकरी है भैया जी

 सर वाकई ध्यान से हट गयी थी ये बात शुक्रिया सर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 26, 2014 at 11:30pm

दंगों में दोस्त-दोस्त क्यों मरते हैं  और  बलवे में दोस्त-दोस्त क्यों मरते हैं   में  तक्तीह करने पर क्या अंतर पड़ जायेगा ?

आदरणीय,  दोस्त का भार २ १ होता है नकि २ २ .. परेशानी यहाँ है, सर..

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 26, 2014 at 8:22pm

सर कुछ नया जोड़ रहा हूँ,,,

 बलवे में दोस्त दोस्त क्यों मरते हैं

प्यार मुहब्बत भी बकरी है भैया जी

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 26, 2014 at 7:02pm

जी, गलत हैं .. .

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 26, 2014 at 3:57pm

 

दंगों22  में दो22 स्त दो22  स्त क्यों22  मरते22   हैं

sir kya main galat hoon?


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 26, 2014 at 2:09pm

राजा को वनवास कहाँ अब मिलता है

आस लगाये अब शबरी है भैया जी ... बहुत खूब !

दोस्त-दोस्त   वाले शेर के उला पर एक बार फिर से संयत हो लें, आदरणीय

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 26, 2014 at 10:20am

बेहतरीन, क्या खूब शे'र कहे है..भैया जी :-))  दिली बधाइयाँ आपको

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 24, 2014 at 11:39pm
राजा को वनवास कहाँ अब मिलता है
आम आदमी वनवासी बना फिरता है .
आदरणीय गुमनामजी , बधाई .

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