For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मातु भारती (त्रिभंगी छंद)

हे भाग्य विधात्री, जन सुख दात्री, मातु भारती, वंदन है ।
मां माटी तोरी, सौंधी भोरी, रज कण माथे, चंदन है ।।
गिरि हिम आच्छादित, करते प्रमुदित, मुकुट मणी सा, सोहत है ।
धरा मनोहारी, मातु तुम्हारी, हरि हर को भी, मोहत है।।
...............................................................
मौलिक अप्रकाशित

Views: 560

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 8, 2014 at 4:39pm

आ० रमेश कुमार चौहान जी 

त्रिभंगी छंद पर बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है..

हार्दिक बधाई इस जटिल छंद पर कलम चलाने के लिए.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 4:20am

त्रिभंगी पर अच्छी चर्चा हुई है. 

तुम्हारी  को पँचकल ही मानें. यह शास्त्र सम्मत है

शुभ-शुभ

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 1, 2014 at 9:22am

......... बहुत खूब आदरणीय भाई रमेश जी हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

Comment by बृजेश नीरज on July 1, 2014 at 7:25am
अच्छा प्रयास है। आपको हार्दिक बधाई।
Comment by रमेश कुमार चौहान on June 30, 2014 at 12:25pm

आदरणीया राजेश दी,श्रीवास्तव जी एवं लड़ी वालाजी आप सभी इस उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक आभार ।
         आदरणीय श्रीवास्तवजी छंद सम कला के मात्रिक गण होने से मात्रिक मैत्री का नियम पालनीय है। । प्रथम चरण में 2,4,4 के दस मात्राएं होनी चाहिये किन्तु  कुछ उदाहरण में  त्रिकल त्रिकल के योग से षटकल पश्चात चैकल लिया गया जिस आधार पर ये प्रयोग करने का दुस्साहस कर बैठा । वास्तव में हम अभ्यासी को 24,4  4,4  4,4  4,2 का ही पालन  करना चाहिये । सादार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 30, 2014 at 12:13pm

आ० डॉ गोपाल जी की बात का समर्थन करते हुए - त्रिभंगी का ये विधान देखिये ----त्रिभंगी के प्रत्येक चरण में 10-8-8-6 पर यति (विराम) आवश्यक है। मात्रा बाँट 8 चौकल अर्थात 8 बार चार-चार मात्रा के शब्द प्रावधानित हैं जिन्हें 2+4+4,  4+4, 4+4, 4+2 के अनुसार विभाजित किया जाता है। इस तरह 2 +  7x 4 +  2 = 32 सभी पदों में होती है।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 30, 2014 at 12:02pm

आदरणीय रमेश जी

आपकी रचना पर महनीया राजेश कुमारी जी से बात हुयी  i मै अपनी आपत्ति इस बिंदु के साथ वापस लेता हूँ  कि  त्रिभंगी का कोई भी चरण  शायद त्रिकल से आरम्भ करने की परंपरा नहीं है i इसे द्विकल या चौकल से ही प्रारम्भ किया जाना परंपरागत है i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 30, 2014 at 11:36am

मनोहारी त्रिभंगी छंद प्रयास के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 30, 2014 at 11:32am

रमेश जी

आपका सुन्दर प्रयास है i अंतिम पंक्ति  में दो बाते है - पहला यह कि  धरा मनोहारी  में जो पहला चौकल है, धराम यह जगण है और त्रिभंगी के किसी भी चौकल में जगण का निषेध है i इसीलिये यहाँ लय भी  बाधित हुआ  है i दूसरी बात 'मातु तुम्हारी ' में आठ केस्थान पर नौ माँत्राए है i प्रसन्नता हा कि आप छंद रचना कर रहे है  i यह रचना कर्म को मांजता है i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 29, 2014 at 4:41pm

वाह ...बहुत सुन्दर त्रिभंगी छंद ,हार्दिक बधाई आपको रमेश जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
11 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
7 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service